
-दिव्यमान यती
बीते स्वतंत्रता दिवस, नेटफ्लिक्स पर सेक्रेड गेम्स का दूसरा सीजन आया, जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतजार भी था. ये वेब सीरीज रिलीज तो बड़े जोर शोर से हुयी हुई लेकिन दर्शकों के उम्मीदों के बोझ तले दब गई. ऐसे में मनोज बाजपेयी की वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन’, जो अपने कंटेंट की वजह से इन दिनों काफी चर्चा में है दर्शकों के लिए राहत का टॉनिक लेकर आयी है.
मनोज बाजपेयी की यह वेब सीरीज एक स्पाई-थ्रिलर है. जिसमें मनोज श्रीकांत तिवारी नाम के खुफिया एजेंट की भूमिका निभा रहे हैं, जो दिखने में तो आम है ही इसकी ज़िन्दगी भी आम है, अगर खास हैं तो इसके कारनामें. श्रीकांत शहर में हुए एक स्कूटर ब्लास्ट के केस की छानबीन करता है जिसमें उससे और उसके डिपार्टमेंट से कुछ गलतियां भी होती हैं. उधर पाकिस्तान में चल रहे कुछ आतंकवादी संगठन और आईएसआई के कुछ एजेंट भारत पर बड़े हमले की योजना बना रहे होते हैं. इस बीच कई सारी घटनाएं होती हैं और सबका एक दूसरे से कोई ना कोई कनेक्शन भी होता है. श्रीकांत इन सब को रोकने के अभियान में लगा हुआ है. इस बीच श्रीकांत की प्रोफेशनल और पर्सनल ज़िन्दगी उसको परेशान करती रहती है. वो घर और देश दोनों के लिए अपना सम्पूर्ण देने की कोशिश से जूझता दिखाई देता है.
सीरीज की कहानी सुनने में साधारण सी लगती है लेकिन इसका ट्रीटमेंट काफी उम्दा है. भले इसके दस एपिसोड में सारे एपिसोड आपकी दिलचस्पी नहीं बढ़ाते, कई एपिसोड थोड़े ठहरे हुए लगते हैं पर इस सीरीज की सिलसिलेवार चलती कहानी और मनोज बाजपेयी का दिलकश अभिनय आपको एक पल के लिए भी स्क्रीन से दूर नहीं होने देता. कागज़ पर लिखे किरदार को कैमरे के सामने कैसे जिया जाता है, मनोज बाजपेयी के अभिनय ने बखूबी साबित कर दिया है. इस किरदार की एक खास बात ये है कि ये एजेंट जेम्स बॉन्ड या किसी बनावटी फिल्मी एजेंट जैसा नहीं है. ये एकदम साधारण है जो अपने दिमाग और अपने साहस से मामले सुलझाता है. इस किरदार से जुड़ाव महसूस करने के बहुत से कारण हैं. मनोज बाजपेयी की पत्नी के किरदार में साउथ एक्ट्रेस प्रियमणी हैं. वो मलयालम, तमिल, तेलुगु फिल्मों में काम करती रहीं हैं. उन्हें 2007 में आई फिल्म ‘परूथीवीरन’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चूका है. उन्होंने अपने किरदार के हिसाब से अच्छा काम किया है. श्रीकांत के दोस्त जेके के किरदार में शारिब हाशमी जमें हैं. उनकी और मनोज बाजपेयी की जोड़ी ने कमाल किया है. इन सब के अलावे एक किरदार जो आपका ध्यान खिंचता है वो है, आईएसआईएस से ट्रेनिंग ले लौटे एक लड़के का किरदार, जिसका नाम मूसा है. मूसा के किरदार में कई सारी परतें हैं. ये किरदार निभाया है मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के नीरज माधव ने. ये उनका पहला हिंदी प्रोजेक्ट है. यह किरदार आपको निश्चित ही चौंकाने वाला है. और भी कई सारे कलाकार जैसे गुल पनाग, दलीप ताहिल, शरद केलकर,दर्शन कुमार इत्यादि अपने किरदार से न्याय करते हैं.
राज और डीके, जो ‘शोर इन द सिटी’ और ‘गो गोआ गॉन’ जैसी फिल्में बना चुके हैं, उन्होंने अब ओटीटी प्लेटफॉर्म की ओर रुख किया है. कम काम के बावजूद इस जोड़ी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है, और यह सीरीज उस पख्ता पहचान को आगे बढ़ाने का काम करती है. मुंबई से कश्मीर तक के नयनाभिराम लोकेशंस को अजीम मूलन की सिनेमेटोग्राफी ने और दिलचस्प बना दिया है. कई जगहों पर शानदार कैमरावर्क के कारण सीन खास बन पड़े हैं. सुमित अरोरा के डायलॉग्स असर छोड़ते हैं, जैसे”उन्हें एक बार जीतना होता है जबकि हमें हर बार जीतना होता है वो भी सही तरीके से.”
सीरीज एक साथ कई संवेदनशील मुद्दों का जिक्र करती नार आती है, मसलन बीफ़ के अफवाह पर हत्या, मॉब लिंचिंग, लड़कों को मजहब और जिहाद के नाम पर बहकाना, राष्ट्रीयता पर बहस इत्यादि. इन सब को स्पष्टता से एक वाजिब वजह बताते हुए दिखाया गया है. कुछ चीजें खलती भी हैं जैसे कुछ बातों पर किरदारों का बिना वजह कोई विचार प्रकट करना, कश्मीर का सिर्फ एक ही पहलू दिखाना इत्यादि. कहीं कुछ सीन ज्यादा खींचे हुए भी हैं, श्रीकांत की पत्नी यानी सुचित्रा का उसके कलीग से कनेक्शन थोड़ा कंफ्यूसिंग लगता है. लेकिन इसके पीछे हो सकता है मेकर्स की अपनी कोई योजना हो क्योंकि यह सीरीज खत्म होने के बाद कई सारे सवाल छोड़ जाती है. शायद इनका जवाब वो अगले सीजन में देना चाहते हों. सीरीज में गालियां हैं जो कि अब वेब ओरिजिनल्स में आम बात हो गई है.
गालियां अगर मनोज बाजपेयी के रिएक्शन के साथ होती हैं तो वो स्वाभाविक लगती हैं. लेकिन कहीं-कहीं गैरजरूरी भी मालूम पड़ती हैं. ‘द फैमिली मैन’ पूरी फैमिली के साथ तो नहीं, लेकिन देखी जा सकती है, मनोज बाजपेयी के अभिनय और स्पाई-थ्रिलर कंटेंट की वजह से.