आलेख: मुन्ना के पांडेय कहते हैं, किसी गहरे सत्य की प्राप्ति और किसी गूढ़ विमर्श की निर्मित्ति हल्के, सधे और...
film review
रिव्यू: डॉ. एम. के. पाण्डेय लहसनवाँ हीराबाई के यहाँ क्यों टिका? मालूम है? उसने हिरामन और साथियों को बताया था...
-गौरव याद नहीं पिछली बार कब मन इतना विचलित हुआ था. रिश्तों के ताने-बाने ने कब मन में इतनी व्याकुलता...
आपने ऐसी कोई फिल्म देखी है जिसका क्लाइमेक्स आपको पसंद तो आया हो लेकिन उसे स्वीकार करना मुश्किल हुआ हो?...
(सुशांत की याद और ये दिल बेचारा…) - गौरव पिछले एक महीने में वक्त का जो मरहम तुम्हारी यादों के...
-पुंज प्रकाश जो असहमति का जवाब तर्क के बजाए हिंसा और एसिड (मानसिक-शारीरिक और कैमिकल) से दे वो मानसिक रूप...
-गौरव सिनेमा दो तरह के होते हैं. पहला वो जो कमायी के जोड़-घटाव वाले समीकरण के खांचे में रखकर बनाया...
-पुंज प्रकाश सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर सही होना किसी भी सार्थक कला के मुख्य उद्देश्यों में से एक है....
-दिव्यमान यती बीते स्वतंत्रता दिवस, नेटफ्लिक्स पर सेक्रेड गेम्स का दूसरा सीजन आया, जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतजार भी...
-गौरव 80 के दशक का सिनेमा. एक हीरो, एक हीरोइन, एक विलेन और बाकी... यह जो ''बाकी'' थे ना, जिनके...