“एक था राजा एक थी रानी
दोनों मर गए खत्म कहानी”
राजा और रानी सबकी एक ही कहानी है, सबका अंजाम एक ही है. लेकिन फिर भी दिल बार-बार यही कहता है, “ऐसे नहीं जाना था.” जब-जब चेहरे पर मधुर मुस्कान लिए वो पर्दे पर नजर आता है. तब उस मनहूस दिन की यादें दिल में अशांति पैदा कर देतीं हैं. काश उस वर्चुअल दुनिया से बाहर निकलकर कह देते ,” पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त.” लेकिन हकीकत ये है कि वो राजा अब हमारे बीच नहीं, कुछ है तो बस उसके किस्से. किस्से जिसे बिना सुने रहा भी नहीं जाता और सुनकर सहा भी नहीं जाता. सुशांत को ये दुनिया छोड़कर गए एक महीने से ज्यादा हो गए लेकिन अभी भी उनके चाहने वालों ने उन्हें अपने बीच से जाने नहीं दिया. सुशान्त के सिनेमाई सफर के आखिरी पड़ाव ‘दिल बेचारा’ (Dil Bechara Movie) ने एक बार फिर से सुशान्त को पर्दे हँसते-मुस्कुराते देखने का अवसर दिया है.
दर्शकों को इस फिल्म का इंतज़ार कितनी बेसब्री से है इसका अंदाजा फिल्म के ट्रेलर और इसके गानों पर मिलने वाली प्रतिक्रियाओं से लगाया जा सकता है. हालांकि सुशान्त के प्रशंसकों की इच्छा थी ये फिल्म थिएटर में रिलीज हो लेकिन उनकी ये इच्छा अधूरी रह गयी. फिर भी उन्हें थिएटर ना सही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये ही सुशान्त के इस आखिरी सिनेमाई सफर (Dil Bechara Movie) का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा.
‘काई पो छे’ टू ‘दिल बेचारा’ वाया ‘एम.एस धोनी’
टीवी जगत में बेशुमार नाम कमाने के बाद अचानक से सिनेमा की ओर रुख करने का फैसला आसान नहीं रहा, लेकिन वो सुशांत थे जिसकी फितरत में ही रिस्क लेना है. इस रिस्क ने ‘काई पो छे’ जैसी फिल्म दी और सुशान्त ने इसे अपने अभिनय जीवंत कर दिया. उस दिन हिंदी फिल्म जगत को एक प्रतिभाशाली और मेधावी अभिनेता मिला. मेधावी इसलिए क्योंकि इनमें अच्छे कंटेंट वाली कहानियों और चुनौतीपूर्ण किरदारों के चयन हुनर भी था. इसका उदाहरण पेश किया उन्होंने 2015 में आई दिबाकर बनर्जी की फिल्म ‘डिटेक्टिव व्योमकेश बक्शी’ करके. वो किरदार इंडस्ट्री में आये किसी नए अभिनेता के लिए आसान नहीं था. ऐसे किरदार का चुनाव जो इस देश में काफी पॉपुलर रहा उसे सुशांत की अदाकारी ने एक अलग रूप दे दिया. इस फिल्म के हर हिस्से में सुशांत एक मंझे अभिनेता की तरह दिखे.
सबसे खास पारी तो 2016 में खेली गई ‘एम.एस. धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी’ के रूप में. जी हां, इसके बाद से सुशांत हर तबके के दर्शकों के दिलों में जगह बना बैठे. सुशांत में लोगों ने धोनी का अक्स देखा. उन्होंने खुद को ऐसे तैयार किया कि देश का आम सिनेप्रेमी भी बोल उठा इससे परफेक्ट ऑन स्क्रीन धोनी कोई और हो ही नहीं सकता. ‘एम.एस.धोनी’ फिल्म के दौरान फिजिकली और मेंटली खुद पर मेहनत करके उन्होंने बताया कि वो अपने किरदार को जीवंत करने के लिए हर मुश्किलात का सामना करने को तैयार हैं. ये सफर केदारनाथ, ड्राइव, सोनचिरैया से होते हुए छिछोरे तक पहुंची थी. तब तक सुशांत की फिल्मी दुनिया के चमकते सितारों में गिनती होने लगी थी. लेकिन 14 जून 2020 की दोपहर को ये सितारा इस दुनिया से दूसरी दुनिया में चमकने चला गया. इतनी खामोशी से गया कि दुनिया ने शोर मचाना शुरू कर दिया. जाते-जाते कुछ छोड़ गया तो वो है आखिरी याद ‘दिल बेचारा’.
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ये फिल्म उनके इस सफर का आखिरी पड़ाव होगा, जिसे प्यार देने के लिए पूरा देश इंतजार कर रहा है. वो इंतजार इस 24 जुलाई को पूरा हो जाएगा. वो स्क्रीन पर आकर एक बार फिर दर्शकों को हसाएंगे-रुलायेंगे और शायद अफसोस भी दिलाएंगे. यकीनन इस फिल्म को देख कर हर सिनेप्रेमी सुशांत को श्रद्धांजलि देगा. इस आखिरी अध्याय से दर्शकों का मनोरंजन करने लिए सुशांत तुम्हारा का धन्यवाद….
जहां हो चमकते रहना क्योंकि यही तुम्हारी फितरत है..
बिल्कुल सही बात कही अपने यति
Woooww💞👌👌
बेहतरीन लेख