- दिव्यमान यती
जैसे पूरे विश्व के लिए ये समय हर दिन कोई बुरी खबर लेकर आ रहा है ठीक वैसे ही फिल्मी जगत के लिए भी ये वर्ष श्राप बनता जा रहा है. फिल्मी जगत से दिग्गजों का जाने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा. कुछ रोज पहले संगीतकार वाजिद खान और इसी बुधवार को गीतकार अनवर सागर का निधन हुआ और अब रोमांटिक फिल्मों के भगवान कहे जाने वाले मशहूर निर्देशक बासु चटर्जी भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए.
बासु जी की उम्र 90 साल की थी, उनके निधन के कारण को लेकर अभी पूरी पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है. उनके निधन की खबर इंडियन फिल्म & टेलीविजन डायरेक्टर्स असोसिएशन के प्रमुख अशोक पंडित ने ट्वीट करके दी. साथ ही उन्होंने बासु दा के अंतिम संस्कार की भी जानकारी दी. आज गुरुवार दोपहर 3 बजे मुंबई के सांताक्रूज वेस्ट के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार हुआ.
30 जनवरी 1930 को राजस्थान के अजमेर में बासु चटर्जी का जन्म हुआ था लेकिन उनकी पढ़ाई-लिखाई मथुरा में हुई उनके पिताजी रेलवे में थे तो इस नौकरी के कारण अलग-अलग जगहों पर रहना होता था. बासु दा शुरू से फिल्मों के प्रति आकर्षित रहे, इस आकर्षण को और बढ़ाने में उनके बड़े भाई का बहुत बड़ा योगदान रहा. मथुरा में सिर्फ एक थिएटर होने के बावजूद उसमें लगी लगभग हर फिल्म को दोनों भाई देखा करते थे. शुरू से ही बासु दा के माता-पिता उनपर पढ़ाई-लिखाई को लेकर ज्यादा दबाव नहीं डालते थे.
“बासु दा ने करियर के शुरुआत में 18 साल तक एक वीकली टैबलॉयड ब्लिट्ज में इलस्ट्रेटर और कार्टूनिस्ट की भूमिका में काम किया”
बासु जी ने अपने एक साक्षात्कार में बताया था कि मुंबई आने से पहले फिल्मों के निर्देशन को बारे में सोचा भी नहीं था. वो करियर के शुरुआत में 18 साल तक एक वीकली टैबलॉयड ब्लिट्ज में इलस्ट्रेटर और कार्टूनिस्ट की भूमिका में काम करते रहे लेकिन धीरे-धीरे सिनेमा के निर्देशन में भी उनकी रुचि बढ़ी और फिल्मी जगत को एक बेहतरीन निर्देशक मिल गया. बासु दा एक अलग ही किस्म के निर्देशक रहे. उन्होंने सिर्फ बड़े पर्दे पर ही ही नहीं बल्कि टेलीविजन पर भी निर्देशन किया जिनमें ‘व्योमकेश बख्शी’ और ‘रजनी’ जैसे टीवी शोज प्रमुख रहे.
फिल्मी करियर की शुरुआत बासु दा ने बासु भट्टाचार्य की फिल्म ‘तीसरी कसम ‘ (1966) में उन्हें असिस्ट करके की, जिसमें राज कपूर और वहीदा रहमान मुख्य भूमिका में थे. बाद में इस फिल्म ने नेशनल अवार्ड भी जीता. बतौर फिल्म निर्देशक उन्होंने 1969 में ‘सारा आकाश’ से की. इस फिल्म ने फिल्म फेयर बेस्ट स्क्रीनप्ले अवार्ड जीता. इसके बाद उनका सिनेमाई सिलसिला पिया का घर (1972), रजनीगंधा (1974), छोटी सी बात (1975), चितचोर (1976), खट्टा-मीठा (1978), जीना यहां (1979), अपने-पराए(1980) और चमेली को शादी (1986) जैसी फिल्मों के साथ चलता रहा. उन्होंने करीब 30 से ज्यादा रोमांटिक फिल्में दी हैं और अमोल पालेकर, जरीना वहाब जैसे सितारों को अपनी फिल्मों से ब्रेक भी दिया.
बासु दा के निधन पर पूरा फिल्मी जगत शोक में है, उनके साथ काम करने वाले कलाकार उन्हें उस समय के सर्वश्रेष्ठ और पसंदीदा निर्देशकों में से एक मानते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी वासु दा के निधन पर शोक व्यक्त किया है. मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘‘ बासु चटर्जी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. उनका काम शानदार और संवेदनशील था. उनके काम ने लोगों के दिलों को छुआ. उन्होंने जटिल और सामान्य भावनाओं को अभिव्यक्त किया, साथ ही साथ लोगों की मुश्किलों को भी पेश करने का काम किया. उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदना ‘‘ ओम शांति “