बातचीत: गौरव
सिनेमा इंडस्ट्री की एक बड़ी खासियत है कि यहां किरदारों की अपनी एक नियति होती है. कलाकार हर किरदार पर उतनी ही शिद्दत से मेहनत करता है पर कौन सा किरदार कब उसे रातों रात स्टार बना दे उसे खुद पता नहीं होता. रिंकी की कहानी कुछ ऐसी ही है. रिंकी, फुलेरा पंचायत के प्रधान की बेटी, जो कब फुलेरा पंचायत से बाहर निकल देश के युवाओं की क्रश बन गई उसे खुद भी पता नहीं चला. अपनी सादगी, सहजता और अपनेपन की गर्ल नेक्स्ट डोर वाली छवि के बूते पंचायत सीजन 2 की रिंकी उर्फ सानविका (sanvikaa) वह चेहरा बन गई है जिसकी तलाश इंटरनेट पर आज हर दूसरा युवा कर रहा है. अपने हिस्से आई इस अप्रत्याशित कामयाबी को सानविका किस नजरिए से देखती हैं जानते हैं खुद सानविका से.
– दर्शकों का प्यार तो आपने पहले सीजन के एक सीन के बूते ही पा लिया था. पर वह प्यार दूसरे सीजन के साथ इतनी बेशुमार कामयाबी के साथ आएगा इसकी कितनी उम्मीद थी आपको ?
– जब पंचायत के पहले सीजन के लिए सिलेक्ट हुई थी तभी मेकर्स ने बता दिया था कि रिंकी का किरदार अगले सीजन में डेवलप होगा, पर वह कितना डेवलप होगा या उसका स्वरूप क्या होगा इसका आईडिया मुझे नहीं था. हां, एक भरोसा मुझे टीवीएफ को लेकर था क्योंकि टीवीएफ के कंटेंट और किरदार हमेशा से मुझे पसंद रहे हैं. सो मुझे यह उम्मीद तो थी कि इस किरदार का भविष्य जो भी होगा बहुत ही अच्छा होगा. पर अपने साथ इस कदर लोगों का बेशुमार प्यार लाएगा यह नहीं सोचा था.
– रिंकी के किरदार ने आपको वह छवि मुहैया करा दी है कि लोग अब आपको नेशनल क्रश के तौर पर देखेने लगे हैं. कैसा महसूस होता है जब ऐसी उपमाएं दी जाती है ?
– सच कहूं तो मुझे अभी भी बिलीव नहीं हो रहा है कि मेरे बारे में ऐसा कहा और लिखा जा रहा है. शुक्रगुजार हूं उन तमाम चाहने वालों का जिन्होंने इतना सम्मान दिया. और मुझे लगता है यह उपाधि या यह प्यार मुझसे कहीं ज्यादा रिंकी के लिए है, जिसकी सादगी और आंतरिक खूबसूरती ने लोगों को अपना बना लिया है.
– पंचायत में रघुवीर यादव, नीना गुप्ता जैसे दिग्गज कलाकारों के सामने काम करने का कैसा अनुभव रहा ?
– पंचायत का पहला सीजन ही काफी कामयाब रहा था. उस सीजन ने आखिर में ऐसा सवाल छोड़ दिया था जिसने मेरे ऊपर काफी प्रेशर बढ़ा दिया. रिंकी कौन है, कैसी है, अगले सीजन में क्या करेगी, एक तो यह डर, ऊपर से ऐसे लीजेंडरी एक्टर्स के साथ फ्रेम शेयर करने का डर. छोटे-छोटे काम मैंने पहले भी बहुत किए हैं पर पहली बार कोई फुल लेंथ का किरदार कर रही थी. सो प्रेशर काफी था. पर सेट पर आने के बाद रघुवीर सर, नीना मैम, जीतू और इनके साथ क्रू मेंबर्स और डायरेक्टर सर ने इतना कंफर्ट फील करा दिया कि मेरे लिए काफी आसान हो गया किरदार को बेहतर ढंग से निभा पाना. खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि पहले बड़े प्रोजेक्ट में ऐसे कलाकारों का साथ मिला.
– रिंकी के किरदार में उतरने की तैयारी कैसे की आपने. ऐसे किरदारों से कितना राब्ता रहा है आपका ?
– राब्ता बहुत ज्यादा तो नहीं रहा, पर ऐसे किरदार और परिवेश को काफी करीब से देखा समझा है मैंने. शहर में परवरिश के बावजूद समय-समय पर पेरेंट्स के साथ गांव आना-जाना होता था. चाहे वह गर्मियों की छुट्टी में हो या अन्य किसी वैकेशन फंक्शन पर. तो ऐसे माहौल किरदार और लैंग्वेज से वास्ता रहा है मेरा. जो अब जाकर इस कहानी में काफी मददगार साबित हुआ. कमोबेश रिंकी का किरदार उसी समय और जी गई जिंदगी का अक्स है.
भरोसा था एक दिन दुनिया पहचानेगी: अशोक पाठक
– पहले सीजन के साथ लोगों को आपके और सचिव जी के रोमांटिक एंगल का काफी इंतजार था, जिसे मेकर्स ने इस सीजन में भी पूरी तरह खुलने नहीं दिया. अगले सीजन में लोगों की कितनी उम्मीदें पूरी होंगी ?
– (हंसते हुए) लोगों के इस प्यार से अभिभूत हूं. जहां तक रोमांटिक एंगल वाली बात है तो यह कहानी गांव-कस्बों वाली है और आप भी जानते हैं कि ऐसी जगह पर यह बातें काफी स्लो हुआ करती हैं. प्यार के मामलों में शहरों की तरफ खुलापन वहां नहीं होता. तो यह किस्सा भी धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है. वैसे भी इन बातों में धीरे-धीरे खुलने का भी अलग स्वाद है. सब कुछ अगर तेजी से हो जाता तो क्यूरिसिटी ही खत्म हो जाती. अब अगले सीजन में क्या होगा, कितना होगा या कहानी किस ओर मोड़ लेगी यह तो राइटर्स ही बता पाएंगे.
– थोड़ा अपने फैमिली और एजुकेशनल बैकग्राउंड की बात शेयर करें.
– मैं जबलपुर की रहने वाली हूं. फैमिली की एकेडमिक बैकग्राउंड काफी स्ट्रांग रही है. मैं खुद भी पढ़ाई में बेहतर रही हूं. यहां तक कि घर वालों के साथ साथ मैं खुद भी बिजनेस में ही अपना भविष्य देखती थी. इसी सोच के साथ इंजीनियरिंग भी कर रही थी. पर आखिरी साल आते-आते मैं इससे काफी बोर हो गई. लगा अब इससे ज्यादा पढ़ाई होगी नहीं मुझसे. सो इंजीनियरिंग और एमबीए की दुनिया पीछे छोड़ मैं मुंबई आ गई.
– फैमिली ने रियेक्ट नहीं किया ?
– फैमिली मेरी हमेशा से काफी सपोर्टिव रही है. और घर में सबसे छोटी और लाडली होने का फायदा भी था कि मैं अपनी बात आसानी से मनवा लेती थी. एक्टिंग की बात पर भी कोई प्रॉब्लम नहीं हुई. सब को लगा शायद शौकिया तौर पर ट्राई करना चाह रही है, कुछ दिनों में खुद ही छोड़ कर वापस हो लेगी. पापा तो बीच-बीच में जॉब वेकेंसीज भी बताते रहते थे. मम्मी की एक्सपेक्टशंस बस इतनी थी कि एक्टिंग कर रही हो तो पर्दे पर कब दिखोगी. थैंक गॉड पंचायत ने उनकी यह इच्छा भी पूरी कर दी.
– इंजीनियरिंग करते-करते अचानक एक्टिंग का ख्याल मन में आया कैसे ?
– ख्याल एक्टिंग का नहीं आया. एक्चुअली मुझे हमेशा से ही ट्रेवलिंग का शौक रहा है. मेरी एक दोस्त जो इस इंडस्ट्री में थी उसने मुझसे कहा कि तुम भी आकर कोई डिपार्टमेंट ज्वाइन कर लो इससे तुम्हें ट्रैवलिंग का मौका भी मिल जाएगा. फिर मैंने कॉस्टयूम एडी के तौर पर इंडस्ट्री ज्वाइन कर ली. वहां मुझे कैमरे के सामने लोगों को एक्ट करता देख मजा आने लगा. फिर मैंने भी ऑडिशन देना शुरू किया. और संयोग देखिए बिना किसी अनुभव के मेरे ऑडिशन क्रेक भी होने लगे. मुझे छोटे-छोटे रोल मिलने लगे. फिर यह सिलसिला शुरू हो गया. ऑडिशन के साथ-साथ मैंने वर्कशॉप्स भी ज्वाइन करना शुरू कर दिया.
– इंडस्ट्री में सर्वाइवल के चैलेंज कैसे रहते हैं और उनको हैंडल करना कितना मुश्किल होता है ?
– अनिश्चितता तो काफी है इस इंडस्ट्री में. खासकर तब, जब आप आउटसाइडर और बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड सपोर्ट के आए हो. पर मुझे लगता है अगर आपके इंटेंशंस क्लियर हैं और मेहनत ईमानदार है तो रास्ते खुद ब खुद बनते जाते हैं. इस मामले में मैं थोड़ी सी लकी रही हूं कि मेरी मेहनत का फल समय-समय पर मिलता रहा है. हां स्ट्रगल तो काफी है इस फील्ड में, पर ईमानदारी से मेहनत और दोस्तों और फैमिली के सपोर्ट से रास्ते थोड़े आसान हो जाते हैं.
– बहुत शुक्रिया इस बातचीत के लिए. भविष्य में रिंकी को इससे भी ज्यादा प्यार मिले शुभकामना है हमारी.
– बहुत-बहुत शुक्रिया.
4 thoughts on “रिंकी की सफलता ने मेरी जिम्मेदारियां बढ़ा दी है: सानविका (Sanvikaa)”
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