इंटरव्यू: रानू सिंह
बीते दिनों डिज्नी हॉटस्टार पर एक वेब सीरीज आयी मछली. यह सीरीज ने अपने कंटेंट की बदौलत दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है. सीरीज की चर्चा के साथ-साथ दर्शकों में इसकी मुख्य अभिनेत्री ईशा नारायण सिंह (isha narayan singh) की भी काफी चर्चा है. फिल्मेनिया के रानू सिंह ने इस फिल्म को लेकर ईशा से खास बातचीत की जिसमें ईशा ने अपनी जिंदगी के कई पहलुओं पर भी बातें की.
– सबसे पहले अपने बैकग्राउंड के बारे में बताइये ?
– मेरा जन्म पटना शहर में हुआ, मेरी शुरुआती पढ़ाई लिखाई आचार्य श्री सुदर्शन पटना सेंट्रल स्कूल से हुई और अब मैं ग्रेजुएशन मेरठ से कर रही हूँ. मेरी फैमिली बैकग्राउंड शिक्षकों की है, मेरे दादाजी और नाना जी सभी प्रिंसिपल रहे हैं और मेरे माता पिता सुनील कुमार और शारदा देवी दोनों ही शिक्षक हैं.
– पटना में थिएटर के शुरूआती दिनों के बारे में बताइये ?
– मैंने शुरुआत एक शार्ट फ़िल्म से की और फिर १०० एपिसोड के एक वेब सीरीज में मुझे मुख्य किरदार निभाने का मौक़ा मिला , उस वेब सीरीज की शूटिंग के दौरान मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने क्राफ्ट को और रीयलिस्टिक बना सकती हूँ , पर मुझे पता नहीं था कि थिएटर से कैसे जुड़ूँ, किसे एप्रोच करूँ…. पर कहते हैं ना – वो भी तुझको ढूँढ रहा है जिसकी तुझे तलाश है. एक थिएटर डायरेक्टर ने मेरा काम देखा और उन्होंने सामने से मुझे अपने प्ले के लिए पूछा , मेरी ज़िंदगी का पहला प्ले – पंछी ऐसे आते हैं. में लोगों ने मेरे परफॉरमेंस को काफ़ी पसंद किया और फिर मुझे लगातार और शो मिलते रहे.
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– सिनेमा के शुरूआती काम मिलने के बारे में बताइये ?
– मेरा पहला काम मुझे भगवान ने तब दिया जब मैंने सोचा भी नहीं था. मुझे एक शाम किसी का फ़ोन आया जिन्हें मैं नहीं जानती थी पर क्योंकि मैं मॉडलिंग कर रही थी तो वो मुझे जानते थे और उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं एक्टिंग में इंटरेस्टेड हूँ और मुझे एक ऑडिशन स्क्रिप्ट भेजा . बस फिर मैंने ऑडिशन बना कर भेजा , फिर मेरी डायरेक्टर और प्रोड्यूसर्स के साथ मीटिंग हुई और इस तरह मुझे मेरा पहला काम मिला . हालांकि मैं उस वक़्त अभिनय नहीं जानती थी मगर भगवान ने जो रास्ता दिखाया मैं उसी पर चली और ख़ुद को और बेहतर बनाने की कोशिश कर रही हूं और आगे भी करती रहूंगी! मैंने कुछ शार्ट फ़िल्म में काम किया है. इसके अलावा मैंने एक फ़िल्म “ sindhora” को डायरेक्ट किया है और उसमें काम किया है. मैंने मगही वेब सीरीज “ पटना की दरोगा भाभी” में मुख्य किरदार अदा किया है, इस किरदार से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला मैंने गवर्नमेंट के लिए कुछ ऐड शूट किए इसके अलावा पे- वॉलेट के लिए कुछ कैंपेन किए. उसके अलावा मैंने देश के कई बड़े शहरों में थिएटर शो के परफॉर्म किए.
– पहली बार वह कौन सी घटना थी जिससे आपको लगा कि आपको अभिनय के क्षेत्र में जाना है.?
– मुझे बचपन से ही फ़िल्म देखने का बहुत शौक़ रहता था . बचपन में जब मेरे उम्र के बच्चे कार्टून देखते थे मैं सिनेमा देखती थी और देखने के बाद मैं सारे दिन उसके किसी किरदार की तरह बिहेव करती थी. उसके बारे में सोचती रहती थी, पढ़ाई लिखाई के साथ -साथ मैं हमेशा से स्कूल के कल्चरल फ़ेस्टिवल्स में पार्टिसिपेट करती थी और जब मुझे मौक़ा मिला तब मुझे पता चला की मुझे यही करना है, ईश्वर ने इस जन्म में मुझे इसी के लिए चुना हैं.
– अभिनय करने की बात पर घर वालों का कैसा रिएक्शन रहा ?
– मैं हमेशा अपने फ्री टाइम में कुछ नया सीखती हूँ और जब मैंने एक्टिंग कि शुरुआत की तो घर वालों को यहीं लगा कि मैं कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूँ तो मुझे कभी रोका नहीं गया मेरे भाई बहन मेरे कजिन सभी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया … मुझसे ज्यादा उन्हें मुझपे भरोसा था. आज भी मुझे सही गाइडेंस देते हैं और मुझे एक्टिंग में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं.
– मुंबई जाने के बारे में क्या सोचती हैं ?
– मुंबई तो हर अभिनेता का मंदिर है. और हर अभिनेता का सपना होता है मुंबई जाना, उसी तरह मुंबई जाना मेरा भी सपना है और ये सपना भी बहुत ही जल्द साकार होगा.
– मछली वेब सीरीज मिलने की कहानी क्या रही ?
नवरात्रि का पहला दिन था और मैंने पहली बार व्रत रखा था, सुबह के पाठ के लिए बैठ ही रही थी कि मुझे अनिमेष वर्मा सर के असिस्टेंट का फ़ोन आया मछली वेब सीरीज में मुख्य किरदार के रोल के लिए मगर कुछ ही दिनों में मेरी कॉलेज की परीक्षा शुरू होने वाली थी तो मैंने मना कर दिया फिर मुझे शाम में दूसरा कॉल आया अनिमेष सर के दूसरे असिस्टेंट का उन्होंने कहा ये मेरे लिये एक अच्छी अपॉर्चुनिटी हो सकती है , फिर मैंने उनसे कहा कि मुझे पढ़ाई के लिये समय चाहिये होगा और मैं ज्यादा दिन नहीं दे पाऊँगी और भी कई शर्तें रखीं मगर कहते हैं ना, क़िस्मत का लिखा कोई नहीं टाल सकता, फाइनली मैं करने को तैयार हो गई .
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– अभिनेताओं के इस भीड़-भाड़ वाले दौर में आप खुद को कैसे मोटिवेट करती हैं ?
ख़ुद को मोटिवेट रखना सबसे मुश्किल काम होता है, ऐसे में मेरे भाई बहनों का सपोर्ट और उनका प्यार मुझे बहुत मदद करता है. और मेरे माता पिता से मैंने हमेशा ये सीखा है कि सकारात्मक रहो और अपना बेस्ट दो, बाक़ी ऊपर वाले पर छोड़ दो, जो तुम्हारा नहीं है वो तुम्हें कभी नहीं मिलेगा और जो तुम्हारा है वो तुम्हें मिल कर ही रहेगा.