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सीरीज रिव्यू : Kota Factory Season 2 कम मसाले के बावजूद प्रभावी

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Kota Factory

PC: Social Media


साल 2019 में टीवीएफ, यूट्यूब पर एक शो लेकर आया, नाम था ‘कोटा फैक्ट्री’। नाम सुनकर ही लोगों में जिज्ञासा जग गई और जब शो पूरी तरह से दर्शकों के बीच आया तब इसने दर्शकों की जिज्ञासा को संतुष्टि में बदल दिया था। इस शो के कॉन्सेप्ट, किरदार और इसके ब्लैक एंड व्हाइट चित्रण ने सभी का मन मोह लिया। कोटा में आईआईटी की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के संघर्ष को दिखाती ये सीरीज अपने आप में काफी यूनिक थी। लगभग सवा 2 साल बाद 24 सितंबर 2021 को इसका दूसरा सीजन (Kota Factory Season 2) रिलीज कर दिया गया है लेकिन इस बार यूट्यूब पर नहीं बल्कि ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर, तो आइए बताते हैं कोटा फैक्ट्री का दूसरे सीजन का सिलेबस कैसा है..

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इसकी कहानी कि शुरुआत कोटा के सबसे बड़े कोचिंग संस्थान माहेश्वरी क्लासेज के मालिक माहेश्वरी सर के हतोत्साहित करने वाले स्पीच से होती है। उस स्पीच से निराश होते विद्यार्थियों को देख आपके अंदर भी निराशा की लहर दौड़ पड़ेगी अगर आप उससे जुड़ाव महसूस कर पाएं तो। मुख्य नायक वैभव प्रोडिजी क्लासेज छोड़ कर अब माहेश्वरी क्लासेज में पढ़ने लगा है वहां उसे सुसु नाम का नया दोस्त मिला है जो उसे अपने पुराने दोस्त मीना की याद दिलाता रहता है। वैभव का माहेश्वरी क्लासेज में तैयारी करने का सपना पूरा तो हुआ है लेकिन वहां फिजिक्स पढ़ा रहे प्रोफेसर के लेक्चर्स उसके पल्ले ही नहीं पड़ रहे। वो बहुत परेशान है और कोटा फैक्टरी के किसी किरदार का परेशान होना मतलब जीतू भैया की एंट्री। वैभव जीतू भैया से मदद लेने उनके पास जाता है जहां उसे उसके पुराने दोस्त मीना, उदय, वार्तिका और मीनल मिल जाते हैं। जीतू भैया खुद परेशान हैं क्योंकि उन्हें अपना कोचिंग सेंटर खोलना है पर वो अपनी परेशानियों के बावजूद अपने विद्यार्थियों को कभी निराश नहीं होने देते हैं। जीतू भैया के कोचिंग खोलने का संघर्ष और वैभव का आईआईटी की तैयारी का संघर्ष, दोनों के संघर्ष को इस सीजन (Kota Factory Season 2) में बराबर दिखाया गया है। बाकी सारे किरदार इन्हीं दोनों के इर्दगिर्द जरूरी मुद्दों को दर्शकों के बीच लाने में सहायक की भूमिका में हैं।

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अभिनय में वैभव की भूमिका में मयूर मोरे सहज नज़र आए हैं, उनमें आपको एक डेस्पेरेट विद्यार्थी नज़र आएगा। उदय बनें आलम खान कुछ अलग करते दिखाई नहीं देते थोड़े बहुत हंसी-मज़ाक के सीन उनके हिस्से है जिसमें औसत नज़र आये हैं। वर्तिका यानी कि रेवथी पिल्लई को व्यक्तिगत बहुत कम सीन मिले हैं जो थोड़े अच्छे सीन मिले हैं वो वैभव के साथ में हैं और वो उनमें अच्छी लगी हैं। रंजन राज, उर्वी सिंह, वैभव ठक्कर और अहसास चन्ना के हिस्से जितना आया उन्होंने उसमें अच्छा काम किया है। माहेश्वरी सर के किरदार में समीर सक्सेना बहुत इंटेंस नज़र आये हैं। जैसा उस किरदार से उम्मीद थी एकदम वैसा ही इस किरदार को उन्होंने पकड़ा है। ‘साराभाई’ फेम राजेश कुमार एक फ्रेश एंट्री हैं जिनके काम और ज़्यादा देखने की चाहत अधूरी रह जाती है, उम्मीद है वो अगले सीजन में पूरी हो पाए। अब बात जीतू भैया यानी जितेन्द्र कुमार की उनके बारे में बताने की जरूरत नहीं कि वो किस स्तर के अभिनेता हैं सीरीज ‘पंचायत’ के बाद वो अकेले किसी शो को चलाने वाले अभिनेताओं की श्रेणी में आ गए हैं। उनके स्क्रीन पर आने भर से आपके अंदर अलग ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है। जीतू भैया पिछली बार की तरह इस बार भी कमाल लगे हैं।

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इस शो (Kota Factory Season 2) की सबसे बड़ी उपलब्धि है लेखन, जितनी बारीकी से आपको हर चीज़ दिखाई गई है वो शानदार लेखन की ही देन है। अभिषेक यादव, पुनीत बत्रा, मनोज कलवानी और सौरभ खन्ना ने एक ऐसी कहानी लिखी है जिससे आईआईटी की तैयारी में लगा हर लड़का जुड़ाव महसूस करेगा। उनके लेखन को बेहतर निर्देशन दिया है राघव सुब्बू ने। टीवीएफ की टीम अपने यूनिक विषयों के चुनाव की वजह से दर्शकों का विश्वास वर्षों से जीतता आया है इसी वजह से दर्शक उनके काम को इतना पसंद करते हैं।

अगर इस सीजन (Kota Factory Season 2) की तुलना पहले सीजन से करें तो आपको इस सीजन का मूड थोड़ा ज़्यादा गंभीर और रफ्तार थोड़ी धीमी नज़र आएगी। संभावनाएं जरूर थीं स्क्रीप्ले के रफ्तार में बढ़ोतरी की, मनोरंजन वाले एलिमेंट्स भी पहले सीजन की तुलना में थोड़े कम ही मिलेंगे। हालांकि किरदारों के मस्ती-मज़ाक वाले सीन भी हैं जो आपके चेहरे पर हल्की-फुल्की मुस्कान लाते रहते हैं। इन सब के बावजूद कोटा फैक्ट्री का दूसरा सीजन आपको निराश बिल्कुल नहीं करने वाला। लगभग पौन घंटे के 5 एपिसोड हैं, बेसिरपैर की आती क्राइम सीरीजों के बीच कोटा फैक्ट्री जैसी सीरीज कुछ अलग और नयेपन का अहसास दिलाएगी।

-दिव्यमान यती ( फिल्म समीक्षक)