हिंदी सिनेमा में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ अर्श पर पहुँचा इंसान एकाएक फर्श पर आता है. कुछ कामयाबी की रपटीली राह पर दौड़ते एकाएक फिसल जाते हैं या एक्जिट ले लेते हैं. सत्यकिम यशपाल (Kim Yashpal) ऐसी ही अदाकारा थी. वह एकाएक आसमान की ऊँचाईयों की ओर चढ़ीं और लीड रोल करते जल्दी ही अतिथि और आइटम नम्बर किरदारों में समाती उतनी ही जल्दी सिनेपट से गायब भी हो गईं.
इफ्तेखार (Iftekhar) : हिंदी सिनेमा का विस्मृत चेहरा (2)
सत्यकिम का सिनेमाई नाम किम यशपाल था. उनकी पैदाईश लेबनान की राजधानी बेरुत थी. डांस के शौक ने उनको मुम्बई की ओर भेजा. वह डांस करती थीं पर उनकी दिली-तमन्ना थी कि वह क्लासिकल डांस सीखें, खासकर- कत्थक. लेबनान से मुम्बई आकर उन्होंने प्रसिद्ध नृत्य गुरु गोपी कृष्ण से कत्थक की ट्रेनिंग लिया. कत्थक नृत्य में उनकी प्रतिभा को आप उनकी 1988 की फिल्म ‘घरवाली बाहरवाली’के एक गीत ‘जीवन मेरा संग को तरसे/ अंग तुम्हारे अंग को तरसे’ में देख सकते हैं. किम हिंदी सिनेमा के अस्सी के दशक और नब्बे के शुरुआती दशक तक सक्रिय रहीं. बेहद आकर्षक , शानदार और सुन्दर व्यक्तित्व की धनी किम के कैरियर की पहली फ़िल्म बांग्ला की ‘प्रोहरी’ का रीमेक ‘पहरेदार’ हो सकती थी पर किन्हीं वजहों से यह कभी बन नहीं पाई. बाद में, हिंदी सिनेमा में उनकी पहली फिल्म हुई – ‘फिर वही रात’. यह थ्रिलर फिल्म 1981 में रिलीज हुई थी और इसने बॉक्स ऑफिस पर ठीक बिजनेस किया था. यह डैनी के निर्देशन में बनी एकमात्र फिल्म है. इस फिल्म में किम के हीरो थे – राजेश खन्ना. इस फिल्म के बाद का एक किस्सा फिल्मी गलियारों में यह है कि एक फिल्मी पार्टी में किम की मुलाकात मशहूर अभिनेता शशि कपूर से हुई और वह उनकी शख्सियत से खासा प्रभावित हुए. शशि कपूर ने किम की मुलाकात निर्माता एन एन सिप्पी से करवायी और उन्हीं दिनों निजी कारणों से नीतू सिंह ने निर्देशक मनमोहन देसाई की मल्टीस्टारर फिल्म ‘नसीब’ छोड़ी थी. इस बड़ी फिल्म में अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, रीना रॉय, हेमा मालिनी, ऋषि कपूर जैसे सितारे थे. यह फिल्म किम यशपाल के हिस्से आयी ही और साथ ही उनके सामने नायक हुए ऋषि कपूर. इस फिल्म का एक मशहूर गीत ‘पकड़ो पकड़ो पकड़ो, जकड़ो जकड़ो जकड़ो, देखो जाने ना पाए’ किम और ऋषि पर फिल्माया गया था. ‘नसीब’ भी उस समय की मेगा हिट फिल्म रही. किम के कैरियर का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण साल सन 1982 का है. इसी साल बी. सुभाष निर्देशित मिथुन चक्रवर्ती और किम अभिनीत फिल्म ‘डिस्को डांसर’ आयी. हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय और तब सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म डिस्को डांसर ने संगीत कैसेट्स बिक्री और ओवरसीज ख़ासकर रूस में लोकप्रियता के तमाम रिकार्ड्स तोड़ दिए. 15 अगस्त, 2018 को हिंदुस्तान टाइम्स के एक आर्टिकल ‘बॉलीवुड ऑन इंडिपेंडेंस डे, हियर आर द मोस्ट सक्सेसफुल इंडियन मूवीज ऑफ एवरी डिकेड्स सिंस 1947-2018’ में 1979-1988 के दशक की सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्मों की सूची में एक नंबर पर रखा गया. इस रिपोर्ट की माने तो इस फ़िल्म ने लगभग सौ करोड़ का कारोबार किया था, जिसमें भारतीय मार्केट का योगदान छह करोड़ और बाकी का रूस के मार्केट का था. ‘डिस्को डांसर’ कई मायने में आज भी एक कालजयी फिल्मों की सूची में है. इसका गीत “जिमी जिमी जिमी, आजा आजा आजा’ किम के कैरियर का वह मुकाम है जिसको पाना हर किसी का सपना होता है. यह गीत आज भी न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी हिंदी सिनेमा का एक आइकोनिक गीत है. इस गीत ने किम को जबर्दस्त लोकप्रियता दी. इस गीत को गाने वाली पार्वती खान को गोल्डन डिस्क अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
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लेकिन यह मुंबई है, यहां केवल प्रतिभा ही काम नहीं करत. किम भी लगातार तीन सालों के इस सफलता के बाद भी इसका अपवाद नहीं थी. उनकी शक्लो-सूरत डिंपल कपाड़िया के और आवाज़ की खनक टीना मुनीम सदृश लगती थी. इस सादृश्यता के अपने नफे-नुकसान थे. 1981 में ही किम यशपाल ने राजकुमार, आशा पारेख और डैनी के साथ एक फ़िल्म की जिसका नाम था – बुलन्दी. बुलन्दी एक औसत हिट फिल्म थी. इसमें वह डैनी की नायिका के किरदार में थी. यही वह फ़िल्म थी जब वह और डैनी की बीच नजदीकियां बढ़नी शुरु हुई और फिल्मी गॉसिप चैनल्स और पत्रिकाओं की माने तो बाद के सालों में वह और डैनी लगभग सात-आठ सालों तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे.
इन सबके बीच साल 1983 में किम की एक और मल्टीस्टारर फ़िल्म ‘हमसे है जमाना’ आई. फिल्म तो कुछ खास नहीं चली पर डाकुओं से बचने के एक लंबे दृश्य में किम का बिकनी पहन के दौड़ने का दृश्य खासा चर्चा में रहा. बाद के सालों में किम ने कमांडो,एक ही मकसद, महाशक्तिमान, प्रतिकार, हनीमून, मुस्कुराहट, बागी जैसी फिल्में रहीं पर इन सभी फिल्मों में उनका किरदार या तो आइटम नंबर तक सीमित था या फिर मेहमान भूमिका तक. वह सिनेमा की स्टाइल मैगज़ीन सिनेमा एंड स्टाइल की कवर गर्ल भी बनी. फिल्मी पत्रिकाओं के रिपोर्ट्स की माने तो फिल्म ‘लव इन शिमला’ का रीमेक ‘लव इन स्विट्जरलैंड’ के नाम से होने की घोषणा हो गयी थी और इसमें किम के हीरो ऋषि कपूर बनने वाले थे पर मायानागरी में कहते हैं कि यहाँ एक प्रोजेक्ट बनता है और दर्जन भर डब्बाबंद होते हैं. यह फ़िल्म भी कभी नहीं बनी. फिर भी ‘जिमी जिमी’ की अपार लोकप्रियता का एक बड़ा चेहरा किम यशपाल भी रही पर अफसोस कि मिथुन, बप्पी लाहिड़ी के जादू में आम दर्शकों के जेहन में इस हीरोइन का नाम स्थापित न हो सकता. इसके बावजूद हिंदी सिनेमा में अस्सी के मध्य और नब्बे के शुरुआती दशक में कुछ बेहतरीन आइटम नंबर किम के हिस्से रहे. इनमें ‘घण्टी बजाए गुलफ़ाम, मेरे होंठो के जाम तेरे नाम (हनीमून), कैसे कैसे हैं मेरे मेहरबां, आखों से करे (अंदर बाहर), चंदा से प्यारी लगे, तारों में न्यारी लगे नाम मेरा (शपथ), तेरे नाम की दीवानी (हमसे है जमाना), जलती है जवानी मेरी (बलवान) प्रमुख हैं. जिस आश्चर्यजनक ढंग से किम का सिनेमाईं ग्राफ नीचे आया उसी तरह से उनके निजी जीवन में भी उथल-पुथल हुई. लंबे समय तक उनसे लिव-इन में रहने वाले डैनी ने सिक्किम की रानी गावा से शादी कर सबको चौंका दिया. किम इस झटके को सह नहीं पाई. सिनेमा के जानकार बताते हैं कि यह शायद वह अंतिम चोट थी, जिससे मन के भीतर से गहरे चोटिल होकर किम यशपाल फिल्म जगत को विदा कह गईं. उनकी अंतिम सिनेमाईं उपस्थिति का साल 1993 रहा. आज किम कहाँ हैं यह एक रहस्य है क्योंकि वह मीडिया और सिनेमा दोनों की पहुँच से दूर जीवनयापन कर रही हैं. कुछ सिने पत्रकारों के अनुसार वह अमेरिका में हैं तो कुछ के हिसाब से मुम्बई में हीं. पर यह सच है कि बेहद कम समय में किम ने हिंदी सिनेमा के बड़े कलाकारों के साथ काम किया और फिर डिस्को डांसर को कैसे भूला जा सकता है? जब तक जिमी जिमी जिमी बजता रहेगा किम अपने चाहने वालों के दिलों में जिंदा रहेगी.
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