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Guru Dutt/जन्मदिन पर जानें, क्यों बनी उनकी जिंदगी रहस्यमय

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9 जुलाई, 1925 में बैंगलौर के कोंकण के चित्रपुर मे जन्मे Guru Dutt जो सन 1950 और 1960 के दशक मे एक मशहूर एक्टर और निर्देशक के तौर पर जाने जाते थे, आज उनका जन्मदिन है. उन्होंने अपना बचपन अपने माता पिता शिवशंकर राव पादुकोणे और वसन्ती पादुकोणे के साथ कोलकाता के भवानीपुर मे बिताया था. यही से उन्होंने संस्कृति-संबंधी की शुरुआत की. बता दें कि दिवगंत गुरु दत्त जी का असल नाम वसन्त कुमार शिवशंकर पादुकोणे था, लेकिन बंगाल के संस्कृति से प्रभाव होकर उन्होंने अपना नाम बदलकर गुरु दत्त रख लिया. उन्होंने संगीत के गुण उदय शंकर से ली थी. पुरे पांच साल तक उन्होंने अल्मोड़ा से नृत्य व नाटक भी सिखा था. भले ही आर्थिक तंगी के कारण वह शिक्षा से थोड़े दूर थे पर उनमे संगीत, कलाकारी जैसे और कई गुण होने के कारण उन्हें अपनी ज़िन्दगी मे आगे बढ़ने मे मदद मिली .

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गुरु दत्त को अपने जिन्दगी मे मिली कई सफलतायें

Guru Dutt जी ने अपनी कैरियर की शुरुआत 1944 मे बतौर कोरियोग्राफर की थी. बॉलीवुड इंडस्ट्री मे आने के बाद उनकी खास दोस्ती हुई देव आनंद जी के साथ. बाद मे दत्त जी ने अपना पहला निर्देशन डेब्यू बाजी (1951) से किया था, जिसके मुख्य भूमिका में थे देव आनंद. जिसके बाद उन्होंने कई अच्छी और बड़ी फिल्में बनाई. पर बाद में वह निर्देशक से हटकर केवल निर्माता और अभिनय ही करने लगे थे. ‘बाजी ‘ फिल्म के दौरान उनकी मुलकात गीता दत्त से हुई थी, जिससे उन्होंने 1953 मे शादी किया था. यह भी बताया जाता है की उन्होंने अपने कैरियर के शुरुआती दिनों में कई और तरह के काम भी किये है. उन्हें अपने काम के लिए कई पुरुस्कारों से नवाज़ा भी जा चुका है.

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आखिर क्यों बनी उनकी मृत्यु रहस्यमय

अक्टूबर 10, 1964 मे दत्त जी अपने घर में मृत पाये गए थे. वैसे तो इनकी मृत्त्यु का कारण शराब और नींद की गोलिया लेने को बताया जाता है पर उनकी मृत्त्यु आत्महत्या थी, जिसका अभी तक कोई वजह मालूम नहीं चल पाया. यह भी बताया जाता है कि उनका उस समय की मशहूर एक्ट्रेस वहीदा रेहमान के साथ रिश्ता था जिसके कारण Guru Dutt जी की पत्नी गीता दत्त उनसे अलग हो गई. बाद मे वहीदा भी उन्हें छोड़ कर चली गयी थी. लोगों का यह कहना है कि उनकी फिल्मी और निजी जीवन के तनाव से वह काफी डिप्रेशन मे रहते थे. Guru Dutt को बॉलीवुड सिनेमा जगत का गुरु ऑफ़ बॉलीवुड गोल्डेन एज भी कहा जाता है. उनका यू ही चले जाना इंडियन सिनेमा के लिए एक बड़ा नुकसान है.

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दत्त की प्रसिद्ध फिल्मों में साहिब बीवी और गुलाम, चौदहवीं का चांद, प्यासा, आर पार, सीआईडी, कागज के फूल शामिल हैं. उनकी आखिरी फिल्म सांझ और सवेरा थी. गुरुदत्त ने कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी है, जिनमें बाजी, जाल और बाज शामिल है। वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म बाज के साथ गुरुदत्त ने अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रखा और इसके बाद सुहागन, आरपार, मिस्टर एंड मिसेज 55,प्यासा, 12ओ क्लाक, कागज के फूल, सौतेला भाई, भरोसा, बहुरानी, पिकनिक जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया।

Divyani paul