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Ghoomer Movie Review: इमोशन की पिच पर आर बाल्की, अभिषेक और सैयामी का सिक्सर है घूमर

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  • संगीता खुशी

निर्देशक– आर बाल्की
कलाकार– अभिषेक बच्चन, सैयामी खेर, अंगद बेदी, शबाना आज़मी, शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर, अमिताभ बच्चन

“ज़िंदगी जब मुंह पर दरवाज़ा बंद करती है, तब उसे खोलना नहीं, तोड़ना पड़ता है..” पूर्व क्रिकेटर पदम सिंह सोढ़ी जब सामने खड़ी अनीना से यह कहता है, तो आप कहीं ना कहीं खुद में वो भाव महसूस करते हैं, जो अनीना की आंखों में दिखता है. इस फिल्म को खास बनाने में एक अहम हिस्सेदारी इसके संवाद की भी है, जिसे राहुल सेनगुप्ता और ऋषि विरमानी के साथ मिलकर आर बाल्की ने लिखा है.घूमर, दो बार ओलम्पिक गोल्ड मेडल जीतने वाले एक एथलीट की शानदार उपलब्धि से प्रेरित फिल्म है. यह बॉयोपिक नहीं है और ना ही पूरी तरह से एक स्पोर्ट्स ड्रामा है. यह जिंदगी की रेस में हार नहीं मानने की एक उम्दा कहानी है.

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क्या है घूमर की कहानी

अनीना (सैयामी खेर) एक उभरती हुई बल्लेबाज है, जो किसी दिन भारत के लिए खेलना चाहती है. उसका चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हो जाता है, लेकिन एक हादसे में अनीना अपना दाहिना हाथ गंवा देती है. ऐसे मुश्किल वक्त में उसे अपना ख्वाब बिखरता नज़र आने लगता है. निराशा में वो खुद को ख़त्म कर लेना चाहती है. लाइफ के इस मोड़ पर उसका रास्ता पूर्व क्रिकेटर पदम सिंह सोढ़ी उर्फ पैडी सर (अभिषेक बच्चन) से जा मिलता है. खुद अवसाद और नशे की लत से जूझते पैडी इस सफर में सामाजिक चुनौतियों और व्यक्तिगत संघर्ष को दोनों की मजबूती बना लेते हैं. नतीजा कभी स्टार बल्लेबाज रही अनीना बाएं हाथ के स्पिनर में ढल जाती है. पैडी सर एक सीन में कहते हैं- “लूजर क्या महसूस करता है i know, I also want to know विनर्स क्या महसूस करते हैं..” क्या अपना राइट हैंड खोने के बाद अनीना चुनौतियों को पार करते हुए अपना ख्वाब पूरा कर पाएगी? इसी के इर्द गिर्द घूमती है कहानी.फ़िल्म का कई डायलॉग सीधा आपके दिल पर चोट करता है और कहीं न कहीं इससे आप कनेक्ट कर जाते हैं, फ़िल्म आपको भावनाओं की रोलर कोस्टर राइड पर ले जाती है.

अभिनय

अनीना के कोच के किरदार में अभिषेक बच्चन ने बेहतरीन काम किया है. वह पहले फ्रेम से लेकर आखिरी फ्रेम तक अपने किरदार के प्रति ऑनेस्ट दिखे. अभिषेक पूरी फिल्म में हर भाव को बहुत ही सूक्ष्मता के साथ दिखाते हैं, जो इस तरह की कहानी में बहुत प्रभावी साबित होती है. सैयामी खेर शुरुआत में थोड़ी कमजोर रहीं, लेकिन सेकेंड हॉफ में मजबूत होकर उभरती हैं. एक असाधारण प्रदर्शन वाली महत्वाकांक्षी लड़की से एक असहाय के रूप में और फिर मजबुत संकल्प से अपनी ख्वाबों को जीतने का प्रयास करने के सफर को अभिनेत्री ने बखूबी दिखाया है. अनीना के ब्वॉयफ्रेंड के किरदार में अंगद बेदी भी अपना किरदार अच्छा निभाते हैं. वहीं, अनीना की दादी की भूमिका में शबाना आजमी दिल जीत लेती हैं. उनके अभिनय में इतनी सहजता है कि आप यूं ही किरदार और कहानी से जुड़ा महसूस करने लग जाते हैं. इनके अलावा, अमिताभ बच्चन का शानदार कैमियो ध्यान आकर्षित करता है. स्क्रीन पर केवल कुछ मिनटों के लिए उनकी उपस्थिति छाप छोड़ती है.

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निर्देशन व तकनीकी पक्ष

व्यंग्यपूर्ण और हल्के फुल्के तरीके से अहम विषय को प्रस्तुत करना आर बाल्की की खासियत है. उन्होंने सीधी सादी कहानी में इतने परत जोड़े हैं कि आप लगातार फिल्म से जुड़े रहते हैं. हालांकि, फिल्म का सेकेंड हॉफ काफी खिंचा हुआ और दोहराता सा लगता है. अनीना की यात्रा आपको भावुक करती है, मानवीय स्तर पर आप उससे जुड़ जाते हैं और उसके साथ प्रेरित होते हैं- यही घूमर की ताकत है. फिल्म के संवाद इसके सकारात्मक पहलू हैं. कहानी कुछ जगहों पर अति नाटकीय हो जाती है, जो आपका ध्यान भटकाती है. खासकर क्लाईमैक्स में दिखाया गया मैच रोमांचक तरीके से शुरु होता है, लेकिन अंत में बनावटी बन जाता है. अमित त्रिवेदी का बैकग्राउंड स्कोर प्रभावी है. इसके अलावा, प्रोडक्शन डिजाइनर संदीप शरद रावडे का काम बेहतरीन है.

आर बाल्की की ‘घूमर’ एक दिल छूने वाली स्पोर्ट्स ड्रामा है, जो आपको जरूर प्रेरित करेगी. हां, फिल्म में कुछ कमियां हैं, लेकिन अक्सर इमोशंस उस पर हावी हो जाती हैं. कहना गलत नहीं होगा कि अभिषेक बच्चन, सैयामी खेर के साथ आर बाल्की ने अच्छी पारी खेली है.