- गौरव
निर्माता-निर्देशक: सुनील पाल
लेखक: जितेंद्र जीतू
कलाकार: मानवेंद्र त्रिपाठी, कामरान, अनुरेखा भगत, रानू सिंह
नाना पाटेकर की फिल्म क्रांतिवीर का एक फेमस डायलॉग था, जब वह हिंदू मुस्लिम की बात करने वाले एक आदमी को कहता है, देख ये हिंदू का खून, ये मुसलमान का खून, मिला दिया दोनों को, अब बता इसमें कौन है हिंदू का खून और कौन है मुसलमान का खून. जब बनाने वाले ने अंतर नहीं किया फिर तू कौन होता है भेद करने वाला. यह वह सच्चाई है जो हर किसी के आंखों के सामने है फिर भी आज हर इंसान इस बात से मुंह मोड़ आंखें मूंद खड़ा है. (Film Review Rang).
निर्माता – निर्देशक सुनील पाल की शॉर्ट फिल्म रंग (Film Review Rang) इसी बात को बड़ी बारीकी और खूबसूरती के साथ दर्शकों के जेहन में उतार जाती है. एक पिता और बेटे के जरिए इमोशन के ताने बाने के साथ बुनी यह कहानी कम समय में आपको उस दुनिया में ले जाती है जहां से बाहर निकल पाना आपके लिए कतई आसान न होगा. 14 मिनट की फिल्म आज भगवा और हरे के बीच बंट चुके सामाजिक माहौल में उन्हीं दो रंगो को एक साथ लाकर तिरंगे में ढाल देने की बात करती है. ऐसी कहानियां आज के नफरत भरे माहौल की सबसे बड़ी जरूरत है जिसके जरिए समाज में सौहार्द और एकता का अलख जगाकर दुनिया को और खूबसूरत बनाया जा सके.
हिंदू मुस्लिम दंगे के बीच एक बेटे और उसके पिता की घर से बाहर निकलने की जद्दोजहद कहानी का मूल केंद्र है. निर्देशक सुनील पाल ने कहानी की मूल भावना को जिस खूबसूरती के साथ दृश्यों में पिरोया है वह वाकई काबिले तारीफ है. एक फिल्म की सफलता तभी मानी जाती है जब वह अपने उद्देश्यों के साथ सफर करता हुआ दर्शकों के जेहन में लंबे समय तक रच बस जाए. और शॉर्ट फिल्म रंग अपने इस उद्देश्य में पूरी तरह कामयाब नजर आती है.
फिल्म में पिता की भूमिका में अभिनेता मानवेंद्र त्रिपाठी ने किरदार की आत्मा को बड़ी खूबसूरती से पर्दे पर उकेर दिया है. भावनात्मक दृश्यों में चेहरे का भाव संप्रेषण मानवेंद्र के संजीदा अभिनय का प्रमाण देता है. बेटे की भूमिका में बाल कलाकार कामरान ने भी उनका भरपूर सहयोग किया है. छोटी सी भूमिका में मानवेंद्र की पत्नी का किरदार निभा रही अनुरेखा भगत अपने संवाद अदायगी से आकर्षित करती हैं. एक किरदार और, जो केवल एक दृश्य में बहुत ही कम संवादों के साथ बरबस ध्यान खींचता है वो है मुस्लिम दंगाई के किरदार में रानू सिंह. आंखों से अभिनय करते नकारात्मक किरदार में रानू की स्क्रीन प्रेजेंस उनके उज्जवल भविष्य की ओर एक इशारा करती है. बीते दिनों रानू वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं.
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फिल्म का एक और पक्ष जो तारीफ का हकदार है वह है इसका खूबसूरत सिनेमैटोग्राफी. डीओपी पी पी सी चक्रवर्ती ने कैमरे से शाम और सुबह के दृश्यों के साथ गांव के लोकेशंस को नयनाभिराम बना दिया है.
तारीफ करनी होगी निर्देशक की जिन्होंने बाजारवाद के इस दौर में भी लीक से हटकर ऐसी आई ओपनर फिल्म बनाने की हिम्मत दिखाई, और लेखक जितेंद्र जीतू के साथ मिलकर दर्शकों के लिए कुछ नया परोसा.