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और कितना इंतजार कराओगे बाबू भईया !

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– दिव्यमान यती

जैसा कि आपने शीर्षक में पढ़ ही लिया होगा कि बाबू भइया से उनके आने का दिन पूछा जा रहा है. तो बात कुछ ऐसी है, इस साल के 31 मार्च को कल्ट फिल्म का दर्जा प्राप्त ‘हेरा फेरी’ ने 20 साल पूरे किए और आज इस फिल्म की अगली किस्त ‘फिर हेरा फेरी’ ने अपने 14 साल पूरे कर लिए हैं और इन 14 सालों में ऐसा कोई साल नहीं गया होगा जब फिल्मी गलियारों में इस बात की चर्चा ना हुई हो कि इसकी तीसरी किस्त कब आएगी? ये इंतज़ार कब तक चलेगा अभी कुछ पता नहीं. ‘हेरा फेरी’ से जो कारवां चला वो ‘फिर हेरा फेरी’ पर आकर एक प्रश्नवाचक चिन्ह से साथ रुक गया. इस सीरीज की इन दोनों फिल्मों ने कभी इस प्रश्नवाचक चिन्ह को गायब नहीं होने दिया. जब भी इसे देखा जाता मन में कम से कम एक बार ये ख्याल जरूर आता कि कब? आखिर कब? कब फिर से इस तिकड़ी को बड़े स्क्रीन पर देखने का मौका मिलेगा. बीच में कई सारी अफवाहें चली कि अक्षय कुमार इसके अगले पॉर्ट में काम नहीं करेंगे जिससे इस सीरीज के फैन्स के दिल टूट गये थ, अक्षय के बिना कैसी होगी हेरा फेरी ? लेकिन हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में सुनील शेट्टी ने ये संकेत दिए कि इसकी अगली किस्त बनेगी, इसपर काम चल रहा है और इसी तिकड़ी (अक्षय कुमार-परेश रावल-सुनील शेट्टी) के साथ बनेगी.

मैं इस फिल्म के बारे में कुछ आगे बात करूं उससे पहले मैं आप सभी को 2006 से साल 2000 में भी ले जाना चाहूंगा, क्योंकि असल में यही वो साल था जिसने भारतीय सिनेमा जगत को तीन ऐसे किरदार दिये जिनकी चर्चा आज 20 साल बाद और आगे आने वाले कई सालों तक ऐसे ही होती रहेगी. बात अगर कॉमेडी की हो और ‘राजू-बाबूभइया-श्याम’ की इस तिकड़ी का जिक्र ना हो तो फिर भारतीय कॉमेडी फिल्म का इतिहास अधूरा सा मालूम पड़ेगा. इस तिकड़ी किरदार का प्रभाव इतना विराट है कि 20 साल बाद भी इन्हें टीवी पर देखते ही हम सिर्फ हंसते ही नहीं हैं बल्कि ठहाके लगा-लगा कर हंसते लगते हैं. अनगिनत ऐसे सीन और संवाद हैं जिन्हें बोलकर हम स्कूलों-कॉलेजों में दोस्तों के बीच हंसी-ठिठोली किया करते थे. गाहे-बगाहे इस तिकड़ी की नकल करने की नाकाम कोशिशें भी होती रहती थीं. बरसों तक मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज से इसके जोक्स शेयर होते थे तब स्मार्ट फोन का जमाना नहीं आया था. फिर जब स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का दौर आया तब इस फिल्म के डायलॉग्स पर मीम्स बनने शुरू हो गए. भले ही आज की जनरेशन ने उस वक़्त अपने होश तक नहीं संभाले होंगे जब इसकी पहली किस्त आई थी लेकिन आज बिरले ही कोई ऐसा होगा जो इस तिकड़ी से अनजान होगा. ‘कबीरा स्पीकिंग’, ‘हां मालूम है चल अपने बाप को मत सीखा’, इनके हाथ में सोने का कटोरा दे दो फिर भी इन्हें भीख ही मांगना है, ‘जोर जोर से बोल के सबको स्कीम बता दे’ जैसे संवाद आज मीमर्स की पहली पसंद बने हुए हैं. एक और संवाद का जिक्र करना चाहूंगा जब राजू किडनी और आंख बेचने की बात करता है तब बाबू भइया बोलते हैं,” रे श्याम मैं तो तुझे हरामी समझता था, तू तो भला मानुष निकला रे, तू मेरे लिए अपनी किडनी और आंख बेचेगा.” इस पर राजू बोलता है कि मैं अपनी नहीं आपके किडनी और आंखों की बात कर रहा था. ऐसे कई संवाद हैं जो सामान्यतः पढ़ने-सुनने में भले उतने प्रभावी न लगे लेकिन जब हम ये सारे संवाद इस तिकड़ी के माध्यम से स्क्रीन पर देखते-सुनते हैं तो हंसते-हंसते पागल होने लगते है.

अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी उन अभिनेताओं में से थे जो हेरा फेरी सीरीज के पहले एक्शन हीरो के तौर पर जाने जाने जाते थे. कई बार इन दोनों अभिनेताओं ने जिक्र भी किया है कि किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो कॉमेडी में ये आयाम स्थापित कर पाएंगे. क्योंकि ये किरदार एकदम अलग और वास्तविकता के करीब थे. यहाँ तक कि परेश रावल के लिए भी ये किरदार बिल्कुल अलग और नया था क्योंकि वो उस दौर में ज्यादातर विलेन के ही रोल किया करते थे. पर तीनों एक साथ आये और इस चुनौती को अवसर में बदल दिया. ये कहना गलत नहीं होगा कि वहीं से इन तीनों के अभिनय की दुनिया का नया अध्याय शुरू हुआ और कॉमेडी को भी एक नई राह दिखी. हेरा फेरी को नीरज वोरा ने लिखा था और प्रियदर्शन ने निर्देशित किया था, वहीं इसकी अगली किस्त ‘फिर हेरा फेरी’ में लेखन और निर्देशन दोनों की जिम्मेदारी नीरज वोरा ने निभाई थी. अब जैसी इंडस्ट्री में चर्चाएं हैं उसमें ये बात सामने आ रही है कि तीसरे पॉर्ट के निर्देशन की जिम्मेदारी प्रियदर्शन निभाएंगे लेकिन तीसरे किस्त की सारी चर्चाएं अबतक बस चर्चा मात्र ही हैं. सस्पेंस और इंतजार अब भी चल ही रहा है.

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