साधारण सा व्यक्तित्व पर दिखने में स्मार्ट लुक …दिखने में सहज ..निश्छल मुस्कान ..अभिनय में सहजता ..न कोई लाउडनेस ..ऐसा ही व्यक्तित्व था विनोद मेहरा (Vinod Mehra) का ..कौन भूल सकता है घर फिल्म के नायक को ..कौन भूल सकता है अमर प्रेम में उनका मासूम सा किरदार ..कौन भूल सकता है लाल पत्थर का किरदार ..अनुरोध में राजेश खन्ना के दोस्त की भूमिका ..और गीत दिल के टुकड़े टुकड़े करके चल दिए गाने पर उन का नायिका को मनाना..घर फिल्म में फिर वही रात हैं …..अनुराग में मौसमी चटर्जी के साथ तेरे नैनो के मैं दीप जलाउंगा…. विनोद मेहरा जिन्हें इंडस्ट्री ने कम करके आंका …
आज कल रियलस्टिक अभिनय की खूब बात हो रही है तो विनोद उसी रियलस्टिक अभिनय के प्रतिनिधि रहे हैं ..मैं विनोद खन्ना और विनोद मेहरा (Vinod Mehra) को ऐसा अभिनेता मानता हूँ जिन्होंने हमेशा संवाद अदायगी में न कोई ख़ास मैनेरिज्म या एक तरह की नाटकीयता से परहेज रखा .अभिनय के किंग कहे जाने वाले दिलीप कुमार जी का भी संवाद अदायगी में एक ख़ास शैली थी.. .. रियलस्टिक अभिनय के लिए जाने वाले संजीव कुमार भी कई फिल्मों में अपनी बनी – बनाई शैली में संवाद बोलते नजर आए ..लेकिन विनोद खन्ना और विनोद मेहरा इन दोनों अभिनेताओं ने अपनी संवाद अदायगी की कोई ख़ास शैली नहीं बनाई .
1945 में जन्मे विनोद की बड़ी बहन शारदा फिल्मो में काम करती थी ..विनोद की कभी इच्छा नहीं थी कि वो फिल्मो में काम करे .लोगों के कहने पर काम शुरू किया रागिनी से बतौर बाल कलाकार की शुरुआत करनेवाले विनोद मेहरा एक थी रीता से हीरो बने फिर अमर प्रेम ,लाल पत्थर जैसी फिल्मो में उनके अभिनय को सराहा गया .लेकिन शक्ति सामंत की फिल्म अनुराग ने उन्हें इंडस्ट्री में स्टैब्लिश किया .खुद्दार ,जानी दुश्मन ,स्वर्ग ,नर्क ,साजन बिन सुहागन ,जुर्माना ,एक ही रास्ता जैसी कई फिल्मो में काम किया .आप विनोद मेहरा की फिल्मों को देखे तो कई ऐसी फ़िल्में हैं जिसमें विनोद के अभिनय को याद किया जाता है .. हिन्दी सिनेमा में जब अमिताभ के जलवे के सामने कई हीरो मार धार की शरण में चले गये .ऋषि कपूर जैसे कई हीरो रोमांटिक इमेज में कैद हो गये ..वहीं विनोद मेहरा मार धाड़ की फिल्मों के साथ-साथ घर जैसी फ़िल्में भी करते रहें …चूँकि वो जमाना था राजेश खन्ना और अमिताभ का .. विनोद मेहरा ने मल्टी स्टार वाली खूब फिल्मे की श्रीदेवी ,ऋषि कपूर और अनिल कपूर को लेकर गुरुदेव नाम की फिल्म का निर्माण और निर्देशन भी किया ..लकिन बीच में उनकी मौत हो गई फिर राज सिप्पी ने फिल्म को कम्प्लीट किया और रीलिज हुई …उनक मरने के बाद पत्थर के फुल ,इन्सानियत ,,औरत औरत औरत फिल्म रीलिज हुई
उनकी तीन बार शादी हुई ..पहली शादी माँ के कहने पर मीना ब्रोका से की ..फिर दुसरी शादी बिंदिया गोस्वामी से की .जिसके कारण मीना ने उन्हें छोड़ दिया ..लेकिन बिंदिया ने उन्हें छोड़कर जे पी दत्ता से शादी कर ली .फिर रेखा से उनकी शादी की बात उड़ी ..जिसे बाद में रेखा ने सिम्मी ग्रेवाल के साथ एक टेलीविजन शो में कहा कि यह अफवाह थी ..फिर उनकी शादी किरन से हुई जिससे उनके दो बच्चे हुए –सोनिया और रोहन . मात्र 45 साल में 30 अक्तूबर1990 को विनोद की मौत हार्ट अटैक से हो गई .उनके मरने के बाद उनकी फैमिली केन्या चली गई ..
Tariq Shah: उस एक्टर की पहचान एक गीत बना था
बच्चे बड़े हुए तो बेटी सोनिया ने 1972 की क्लासिक फिल्म विक्टोरिया नम्बर 203 की रीमेक में काम की .. और बेटे रोहन ने 2018 में निखिल आडवाणी की बाजार से डेब्यू किया.
-फिल्मेनिया डेस्क
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