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खलनायक से नायक तक हर किरदार को जीवंत करने वाले Naseeruddin Shah के जन्मदिवस पर पढ़े ये खास रिपोर्ट

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फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसा शख्सियत जिसकी अदाकारी की जितनी तारीफ की जाए, शायद वह कम ही पड़े. हर कोई उनके एक्टिंग का कायल है. यह तारीफ है, बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार नसीरुद्दीन शाह की. आज इस शख्सियत का 70 वां जन्मदिन है. फिल्मी जगत में नसीरुद्दीन शाह ऐसा नाम है जिन्होंने बड़े पर्दे पर खलनायक से लेकर नायक तक के हर किरदार में अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई है. एक समय में सिनेमा में कई कलाकारों ने अपना योगदान दिया है, लेकिन आज भी वह सारे कलाकार अपनी एक्टिंग के आधार पर बॉलीवुड में धमाल मचा रहे हैं. ऐसे ही कलाकारों में से एक एक्टर का नाम है Naseeruddin Shah. यह एक ऐसा सितारा है, जो अपने किरदार से स्क्रीन पर देखने वाले लोगों के दिलों में अपनी अदाकारी से गहरी छाप छोड़ देता है . फिल्मी जगत में एक ऐसा नाम है, जिन्होंने सिनेमा की दोनों धाराओं में काम किया है. बात की जाए अगर पैरेलल सिनेमा की तो उसमें भी उन्होंने बेहतरीन अभिनेता की सूची में अपना नाम शामिल किया. तो वहीं बॉलीवुड के मुख्य धारा की बात करें तो उन्होंने कई बड़ी फिल्में में काम कर अपनी कामयाबी हासिल की. अगर उन्हें हिंदी सिनेमा उद्योग में अदाकारी का एक पैमाना भी कहा जाए तो उससे किसी को ऐतराज भी नही होगा. वह है ही ऐसे शख्सियत जिन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया है और आज भी करते हैं. जब भी उन्हें स्क्रीन पर देखने की बात आती है तो दर्शकों में यह चर्चा जरूर होती कि फिल्म में नसीरुद्दीन शाह है, तब तो कमाल ही होगी. स्क्रीन पर उनके कॉमेडी ने लोगों को खूब गुदगुदाया तो एक्शन में उनका अलग ही अंदाज नजर आया. नसीरुद्दीन पर्दे पर जिस भी किरदार में आते हैं, उसमें पूरी तरह से डूब जाते हैं. उनका अभिनय जितना खास व दिलचस्प रहा है उतनी उनकी जीवन की कहानी भी. जन्मदिन पर आज उनके अभिनय से लेकर असल जीवन के कहानी पर परत दर परत बातें करते हुए आगे बढ़ेंगे, जिससे शायद अधिकतर सिनेप्रेमी अनजान हो.

Naseeruddin Shah

फिल्मी कैरियर का आगाज

बात है बॉलीवुड के 1975 के दौर की. जब फिल्मी जगत के अभिनय में एक नए कलाकार का नाम जुड़ा था, नसीरुद्दीन शाह. 1975 में आई फिल्म ‘निशांत’ से Naseeruddin Shah ने अपने फिल्मी करियर का आगाज किया. जिसमें उनके साथ स्मिता पाटिल और शबाना आजमी जैसे प्रसिद्ध अभिनेत्रियां थीं. यह एक आर्ट फिल्म थी. हालांकि यह फिल्म बड़े पर्दे पर कमाई के हिसाब से तो पीछे रही मगर नसरुद्दीन ने अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लिया था. उस फिल्म में उनके एक्टिंग की हर कोई सराहना कर रहा था. इस फिल्म के बाद नसरुद्दीन ने स्पर्श, आक्रोश, मिर्च मसाला, मंडी, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, मोहन जोशी हाजिर हो, कथा जैसे कई आर्ट फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा. आर्ट फिल्मों के बाद वह व्यापारिक फिल्मों में भी अभिनय करते रहे. उन्होंने जलवा, इजाजत, कर्मा, हीरो हीरालाल, मासूम, गुलामी, मोहरा, त्रिदेव, सरफरोश जैसी फिल्में कर उन्होंने साबित कर दिया कि वह सिनेमा जगत की दोनों धाराओं में काम कर सकते हैं. इन सब में खास यह रहा कि उन्होंने हिंदी फिल्म में खूंखार गुंडे का रोल नहीं बल्कि ऐसे खलनायक का रोल निभाया जिसके दिमाग में सिर्फ जहर ही भरा होता था खलनायक के तौर पर उन्होंने कई फिल्में की. स्क्रीन पर खलनायक का किरदार जितना संजीदा था, उससे कई ज्यादा उन्होंने अपने किरदार में संजीदगी दिखाई. जो कि लोगों के दिलों पर छाप छोड़ दी नसीरुद्दीन ने अभिनय के साथ-साथ फिल्म का निर्देशन भी किया है.

जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

Naseeruddin Shah के निजी जीवन के किस्से काफी दिलचस्प रहे हैं. उन्होंने 20 साल के उम्र में ही अपने से 15 साल के उम्र में बड़ी मनारा सीकरी से शादी की थी. जब उन्होंने अपने परिवार से मनारा के बारे में बात की तो उनके फैमिली इस रिश्ते को सुन आग बबूला हो गए थे. क्योंकि मनारा पहले से शादीशुदा व एक बच्चे की मां थी. Naseeruddin Shah ने अपने परिवार वालों के खिलाफ जाकर शादी की. उनकी और मनारा एक बेटी भी है. हालांकि शादी के एक साल बाद ही इस रिश्ते में दरार आने लगी और रिश्ते टूट गई. फिर 1975 में नसीर की मुलाकात रत्ना पाठक से हुई. दोनों एक नाटक के रिहर्सल के दौरान मिले थे. वहीं से उन दोनों के बीच नए रिश्ते का आगाज शुरू हुआ और उन्होंने शादी कर ली. आज नसीर और रत्ना पाठक के दो बेटे इमाद और विवान है. वहीं पहली पत्नी की बेटी हीबा भी पिता नसीर के पास आकर रहने लगी है.

फिल्मी योगदान के लिए अवार्ड

नसीरुद्दीन शाह को 1979 में आई फिल्म स्पर्श और 1984 में फिल्म पार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. 1987 में उन्हें पद्मश्री और 2003 में पद्म भूषण से भी नवाजा गया है. 1983 में फिल्म मासूम के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया है. उन्हें वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से भी पुरस्कृत किया जा चुका है.

आज भी बॉलीवुड में उन्हें काफी सम्मान दिया जाता है. उन्हें स्क्रीन पर देखने के लिए दर्शकों में आज भी वही उत्सुकता रहती है. उन्होंने बॉलीवुड को 200 से अधिक फिल्में दी है और आगे भी उम्मीद है वो इसी तरह बॉलीवुड में अपना योगदान देते हुए अदाकारी का जौहर दिखाए.

Ruma Singh