Fri. Apr 26th, 2024

It’s All About Cinema

छोटे शहरों के सपने अक्सर बड़े होते हैं: आलोक पांडेय

1 min read

alok pandey


-गौरव

कहते हैं बड़े सपने भी तब आपकी कद के आगे बौने पड़ जाते हैं जब आप उन सपनों के पीछे दौड़ लगाने की जद्दोजहद में मेहनत और जुनून को अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लेते हैं. और फिर आपकी वही ताकत एक दिन आपको आपके सपनों से भी ऊंचा बना देती है. कुछ ऐसी ही कहानी है आज से तकरीबन 30 साल पहले उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के छोटे से गांव ददऊं में पल रहे उस बड़े से सपने का. जिसने आगे चलकर यह साबित कर दिया कि भले छोटे शहरों के सपने अक्सर बड़े होते हैं पर अगर आप में मेहनत जुनून और हौसले का माद्दा है तो एक न एक दिन वह बड़ा सपना भी आपकी कद के आगे बौना हो जाता है. नाम आलोक पांडे. उस छोटे से गांव में जहां बिजली भी गाहे-बगाहे आती थी, पैदा हुआ यह शख्स उन अंधेरी रातों में भी अपनी आंखों में ऐसा सपना सजा बैठा, जो एक दिन उसे उसकी मेहनत के दम पर बॉलीवुड के रूपहले पर्दे तक पहुंचा जाता है. सपनों को अपनी मुट्ठी में पकड़ने के बाद भी संस्कारों में देसीपन ऐसा कि बॉलीवुड की टॉप लिस्ट के निर्देशकों के साथ काम करता है, अपनी अलग पहचान बनाता है, और फिर एक दिन अपनी उस सफलता का सारा श्रेय अपने पिताजी, परिवार वालों और गांव वालों के हिस्से रख देता है. फिल्मेनिया के गौरव से बातचीत के चंद घंटों में ही आलोक गांव से शहर और शहर से मायानगरी के अपने सफर को एक बार फिर से उसी शिद्दत के साथ जी जाते हैं.

  • पिताजी का सुनकर दुख हुआ. (अभी हाल ही में आलोक के पिताजी का कैंसर से निधन हो गया)
  • दुख से उबरने की कोशिश में लगा हूं. पर सच कहूं तो पिछला तीन महीना मेरे जीवन का वह वक्त रहा जिसने मेरे अंदर जीवन की सच्चाई, कर्म के प्रति समर्पण और मुश्किल हालातों में भी पूरी ताकत के साथ डटे रहने का ज्जबा भर दिया. मेरे जीवन के पहले गुरु मेरे पिताजी ने जाते-जाते भी मुझे जीवन की कई सच्चाईयों से रूबरू करा दिया. अंदर इतनी तकलीफों से जूझने के बावजूद चेहरे पर बिना किसी शिकन और लाचारी के साथ अपने जीवन के आखिरी क्षणों को भी जीने की उनकी जीवटता ने ऐसी सीख दे दी जो शायद दुनिया का कोई स्कूल ना सिखा सके.
  • पिछला 2 महीना आपने अपने पिताजी के साथ गांव में गुजारा. कितनी संतुष्टि देखी उनकी आंखों में अपने अपने अब तक की उपलब्धियों के लिए?
  • सच कहूं तो उन्होंने अपने जीवन में पूर्ण संतुष्टि का भाव उत्पन्न कर लिया था. अपने जीवन काल के उतार-चढ़ाव और अनुभव के आधार पर वह कर्म और मेहनत पर भरोसा करना जान गए थे. परिणाम चाहे जैसा हो जिस भी हाल में हो, उन्होंने उसकी चिंता छोड़ बस कर्म में यकीन करना सीख लिया था. मुझे वह हमेशा एक बेहतरीन अचीवर के बजाय एक बेहतरीन इंसान बनने की सीख देते थे. जाते-जाते भी उन्होंने मेरे लिए एक छोटा सा नोट्स छोड़ा जिसमें उन्होंने आगे बढ़ने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान बनने की हिदायत भी दी. हां अगर मैं अपनी बात करूं तो मैं उन्हें अभी काफी कुछ देना चाहता था. अपनी बड़ी सफलता का हिस्सेदार बनाना चाहता था. पर वह कहते हैं ना कि आप चाहे लाख हाथ-पांव मार लो, होता वही है जो खुदा को मंजूर होता है. बस एक बात की तसल्ली रही कि पिछली फिल्म बाटला हाउस की सफलता और उसके बाद अपने गांव के बड़े-बड़े समारोहों में मुझे सम्मानित होता उन्होंने अपनी आंखों से देखा. अपने लिए उनकी आंखों में एक अलग सा फक्र मैं हमेशा से महसूस करता रहा हूं. अब तो बस ऊपर वाले से दुआ है कि जीवन की हर सफलता पिछले दो महीनों में उनकी सिखाई बातों पर अमल करके ही हासिल करूं. ताकि वह जहां भी हैं हमेशा की तरह मुझ पर फक्र कर सकें.
  • पिछले साल अपने सिनेमा और वेब सीरीज के रूप में अच्छी सफलता देखी. कितना संतुष्ट हैं आप अब तक के अपने काम को लेकर?
  • एक आर्टिस्ट अगर संतुष्ट हो जाए फिर उसकी कला मर जाती है. कलाकार को आखरी सांस तक कुछ नया और क्रिएटिव करते रहने की जिजीविषा होनी चाहिए. बेशक पिछले एक-दो सालों में कुछ अच्छी सफलता हाथ आई है, पर आपकी पिछली सफलता आपके आगे के काम की गारंटी नहीं हो सकती. आपको हर नए दिन एक नई शुरुआत करनी पड़ती है. तो बस पिछली सफलता को अनुभव बनाकर आगे के काम की कोशिश में लगा हुआ हूं.
  • कितना मुश्किल होता है छोटी सी जगह से निकल अपनी अलग पहचान कायम कर पाना?
  • जितना मैं अब तक जान पाया हूं मुझे लगता है कि हर छोटे शहरों के सपने अक्सर बड़े होते हैं. पर केवल आपका सपना आपको अपनी मंजिल तक नहीं पहुंचा सकता. उस सपने के पीछे निरंतर भागते रहना पड़ता है. मेहनत, जुनून, और हौसले के दम पर ही एक दिन वह सपना आपकी मुट्ठी में समा पाता है. और यकीन मानिए यह सब अगर आपके अंदर है तो फिर कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी छोटी जगह से आए हो, सफलता एक ना एक दिन बाहें फैलाकर आप को गले लगा ही लेती है.
  • इस साल हम आलोक पांडे को और कहां-कहां देखेंगे?
  • इस साल भी कुछ अच्छे प्रोजेक्ट्स है. स्पेशल ऑप्स के बाद के के मेनन सर के साथ एक और वेब सीरीज डोंगरी टू दुबई कर रहा हूं. पंकज कपूर सर के साथ एक फिल्म की है. सनी कौशल के साथ एक फिल्म हुड़दंग आने वाली है. कुछ और प्रोजेक्ट के लिए भी बातें चल रही है. उम्मीद है इस साल भी दर्शकों का प्यार हासिल कर पाऊंगा.