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छोटे पर्दे की बड़ी यादें

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doordarshan


-गौरव

टेलीविजन के मायने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में क्या है ? इस बात से आज शायद ही कोई अनजान हो. मनोरंजन और जानकारियों के सर्वसुलभ माध्यम की बात करें, तो इसके आगे कोई नहीं ठहरता. वक्त के साथ इसका कद इतना बढ़ चुका है कि ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज इसने सिनेमा जैसे बड़े माध्यम को भी खुद में समेट लिया है.
भारत में टेलीविजन की शुरुआत यूं, तो प्रायोगिक तौर पर 15 सितम्बर 1959 को ही हो गयी थी, पर मनोरंजक स्थिति में आते-आते इसे तकरीबन 25 साल लग गये. इस बीच समय-समय पर इसका स्वरूप बदलता गया. मसलन श्वेत-श्याम से रंगीन दुनिया का सफर, साप्ताहिक कार्यक्रमों से डेली सोप तक और दूरदर्शन से बेशुमार निजी चैनलों तक. हर बदलते स्वरूप के साथ इसने अपने दर्शक वर्ग में इजाफा किया और आज लोकप्रियता का आलम ये कि महज 35 वर्षो में इसने खुद को लगभग सत्तर साल बड़े भारतीय सिनेमा के समकक्ष खड़ा कर लिया.
टेलीविजन के बदलते स्वरूप के साथ वक्त-वक्त पर इसके शोज का स्वरूप भी बदलता रहा. पारिवारिक शोज के साथ शुरू हुआ यह सफर कई गलियारों से होकर गुजरा जिसमें कभी पौराणिक व धार्मिक रंग देखने को मिले तो कभी फंतासी मायावी दुनिया, कभी जासूसी थ्रिल मिला तो कभी ह्यूमर का खजाना. टेलीविजन के कई ऐसे शोज हुए जिसने समय-समय पर इसकी दशा और दिशा बदलने का काम किया, और उनमें कुछ ऐसे शोज भी हुए जो सालों बाद भी दर्शकों के जेहन में आज भी उसी ताजगी के साथ जगह बनाये हुए है. आइये नजर डालते हैं टीवी के ऐसे ही दस शोज पर जिसने मनोरंजन जगत में माइलस्टोन का काम किया.

हम लोग/ बुनियाद- दूरदर्शन के पहले शोप ओपेरा के तौर पर ‘हमलोग’ ऐसे वक्त में आयी जब भारतीय मध्यवर्गीय समाज अपनी आकांक्षाओं और संघर्षो की जमीन तलाश रहा था. जुलाई 1984 में शुरू हुआ यह शो शुरुआती प्रसारण के साथ ही दर्शकों का चहेता बन गया. आम मध्यमवर्गीय समाज से उठाए गये किरदार दर्शकों के रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गये. विनोद नागपाल, जोयश्री अरोड़ा, राजेश पुरी और सुषमा सेठ जैसे कलाकारों से सजा शो सुत्रधार के रूप में अशोक कुमार के अलहदा प्रस्तुति की वजह से भी खासा पसंद किया गया. इसके कुछ ही समय बाद प्रसारित रमेश सिप्पी के शो बुनियाद ने भी दर्शकों के बीच अलग पहचान बनायी. भारत-पाकिस्तान विभाजन और उसके बाद की कहानी पर आधारित इस शो के बाद मुख्य किरदार के रूप में आलोक नाथ, कंवलजीत और अनीता कंवर जैसे एक्टर्स ने घर-घर पहचाने जाने लगे.

रामायण/ महाभारत- अस्सी के दशक में पहले धार्मिक शो के तौर पर शुरू हुए रामानंद सागर का रामायण ने प्रसारण के कुछ ही वक्त में पूरे देश को अपनी जद में ले लिया. लोकप्रियता का आलम ये कि लोग परदे के किरदार को असल मान रविवार को इसके प्रसारण के पहले नहा-धो कर टीवी के सामने बैठ जाते थे. कमोबेश यही स्थिति रामायण के दो साल बाद आयी बी आर चोपड़ा के महाभारत की भी थी. इन दोनों शो में काम करने वाले सारे किरदार इस कदर लोकप्रिय हुए कि आज भी लोग उनके असल नाम के बजाय उन्हें उस किरदार के नाम से ही याद करते हैं. रामायण और महाभारत की लोकप्रियता ने टीवी पर धार्मिक शोज के लिए एक नयी राह खोल दी.
रंगोली- तमाम सीरियल और फिक्शन शो के बीच 1989 में दूरदर्शन ने गीत-संगीत का एक ऐसा प्रोग्राम शुरू किया जिसने तीन दशकों से अब तक दर्शकों को अपना दीवाना बनाये रखा है. रविवार को प्रसारित रंगोली में मनोरंजन के साथ-साथ संगीत और इससे जुड़ी जानकारियों के अनूठे प्रस्तुतिकरण की वजह से दर्शक इसका बेसब्री से इंतजार करते थे. इसके नयेपन को बरकरार रखने के लिए समय-समय पर इसे हेमा मालिनी, शर्मिला टैगोर, श्वेता तिवारी, और स्वरा भास्कर जैसी अभिनेत्रियों ने होस्ट किया. टीवी पर गीत-संगीत के प्रोग्राम और नये-नये म्युजिक चैनल्स की शुरुआत के पीछे अगर रंगोली का योगदान मानें तो गलत नहीं होगा.

जंगल बुक- रुडयार्ड कपलिंग की कथा श्रृंखला पर आधारित इस एनिमेशन शो के हिंदी संस्करण ने बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी अपना क्रेज बना लिया था. उम्दा एनिमेशन क्वालिटी और कहानी के दम पर इसके सारे किरदार दर्शकों की जुबान पर चढ़ गये. लोकप्रियता इतनी थी कि जंगली जानवरों के बीच पला बढ़ा मानव मोगली, बघीरा और शेरखान जैसे किरदार टीवी से निकलकर स्टीकर्स और पोस्टर्स के रूप में बच्चों के वर्कबुक और घर की दीवारों पर भी जगह बनाने लगा था.
ब्योमकेश बक्शी- पारिवारिक और धार्मिक सीरियल्स से इतर 1993 में दूरदर्शन पर पहले जासूसी सीरिज के रूप में ब्योमकेश बक्शी का प्रसारण शुरु हुआ. शारदेन्दु बंदोपाध्याय लिखित इस सीरिज के मुख्य किरदार के रूप में रजित कपुर के जासूसी के नये-नये तरीकों ने दर्शकों को खुब लुभाया. शरलक होम्स की तर्ज पर गढ़े गये पहले भारतीय जासूस ब्योमकेश बक्शी को टीवी पर डिटेक्टिव शोज की शुरुआत का जनक माना जाता है.
देख भाई देख/ हम पांच- टीवी दर्शकों को पारिवारिक कॉमेडी के टेस्ट से परिचित कराने का सारा श्रेय इन्हीं दो शो को जाता है. लगभग दो साल के अंतराल पर आये इन दोनो शोज ने एक साथ कई जेनरेशन वाली पूरी फैमिली को इंटरटेन किया. र ोजमर्रा की लाइफस्टाइल से उपजी सिचुएशनल कॉमेडी का लुत्फ दर्शकों को पहली बार इन्हीं शोज के जरिये मिला. अपने प्रसारण के सालों बाद भी शेखर सुमन, नवीन निश्चल व फरीदा जलाल अभिनित देख भाई देख और अशोक श्रॉफ, विद्या बालन व राखी टंडन अभिनित हम पांच दर्शकों के जेहन में ऑल ट7ाइम फेवरेट कॉमेडी शो के रूप में बसा हुआ है.


चंद्रकांता- तिलिस्म और अय्यारी पर आधारित चंद्रकांता सही मायनों में टेलीविजन का पहला मेगाबजट फिक्शन शो था. देवकीनंदन खत्री के उपन्यास पर आधारित नीरजा गुलेरी के इस शो ने 1994 से 96 तक दर्शकों को एक अलग ही फैंटेसी भरी दुनिया की सैर करायी. नौगढ़ और विजयगढ़ की दुश्मनी के बीच पनपती प्रेमकहानी पर आधारित इस शो ने टेलीविजन की दुनिया में एक अलग ही क ीर्तिमान स्थापित कर दिया. रामायण-महाभारत के बाद शायद यह पहला धारावाहिक था जिसके प्रसारण के वक्त सड़के सूनी हो जाती थी. आगे चलकर इसका पुनप्र्रसारण स्टार प्लस और सोनी जैसे चैनल पर भी हुआ.
शक्तिमान- युं तो टीवी पर पहले से कई एनिमेटेड सुपर हीरोज का प्रसारण हो चुका था, पर 1997 में मुकेश खन्ना के जीवंत शक्तिमान अवतार ने हरवर्ग के दर्शकों खासकर बच्चों को अपना दीवाना बना लिया. पहले भारतीय सुपरहीरो के रूप अवतरित शक्तिमान ने क ॉमिक सुपरहीरोज वाले शो के मायने ही बदल दिये. बच्चों में तो शो के मुख्य किरदार गंगाधर उर्फ शक्तिमान का क्रेज इस कदर चढ़ा कि उनमें उसकी नकल करने की होड़ सी लग गयी थी. कई बार तो शो के मुख्य कलाकार मुकेश खन्ना को बच्चों से शक्तिमान के एक्शन भरे दृश्यों की नकल ना करने की भी हिदायत दी जाती थी. काफी लोकप्रिय होने की वजह से आगे चलकर इसका अंग्रेजी, उड़िया, तमिल और मलयालम संस्करण भी बनाया गया.
क्योंकि सास भी कभी बहु थी/ कहानी घर-घर की- साल 2000 वो दौर था जब दूरदर्शन के अलावे नये-नये चैनलों ने भारत में पैर जमाने शुरू कर दिये थे. मनोरंजन का स्वरूप भी तेजी से बदल रहा था. ऐसे वक्त में निर्मात्री एकता कपुर दो ऐसे शो के सामने आयी जिसने टीवी धारावाहिकों की दुनिया ही बदल दी. स्टार प्लस पर डेली सोप के रूप में शुरू इन दो शोज ने सास-बहु टाइप सीरियल्स की शुरुआत के साथ ही भारतीय महिलाओं को टीवी से जोड़ दिया. लोकप्रियता ऐसी चढ़ी कि शो के किरदार की मौत पर दर्शकों के विरोधात्मक प्रतिक्रिया की वजह से निर्माताओं को कहानी में बदलाव तक करना पड़ा. इन दो शो की वजह से एकता घर-घर में टीवी क्वीन के नाम से मशहुर हो गयी. स्मृति ईरानी और साक्षी तंवर की मुख्य भुमिकाओं वाले इन शोज के साथ ही टीवी पर फैमिलीड्रामा के नये युग का आरंभ हो गया.

कौन बनेगा करोड़पति- ‘देवीयों और सज्जनों’, इस एक वाक्य के साथ दिसम्बर 2000 में टीवी पर एक ऐसे शो का आगमन हुआ जो उस वक्त रात के एक घंटे के लिए सड़कों को सुनसान बना देता था. ब्रिटीश प्रोग्राम हू वांट्स टू बी मिलियनेयर की तर्ज पर अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट इस शो ने भारतीय टीवी की दुनिया में क्विज शो का एक नया अध्याय शुरू कर दिया. शो में भाग लेने के लिए बोरे भरे खत पहुंचने लगे. सवालों के जवाब देने और रजिस्ट्रेशन की वजह से घंटो टेलीफोन लाइंस जाम रहने लगे. फिल्मी दुनिया के सितारों को टीवी पर लाने और टीवी को सही मायने में स्टारडम दिलाने में इस शो का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है.

कॉमेडी नाइट्स विद कपिल- स्टैंड अप कॉमेडी की बात चलते ही लोगों के जेहन में जो नाम सबसे पहले आता है वो है कपिल शर्मा. 2013 में शुरू हुए इस शो के फ ार्मेट और प्रेजेंटैशन के जरिये इसके किरदार देखते-देखते मशहूर हो गये. कपिल, पलक और गुत्थी जैसे किरदारों से सजे इस शो ने केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में अपना दर्शक वर्ग तैयार किया.
टीवी पर कई ऐसे शोज भी आये जो मुल रूप से विदेशी प्रोग्राम का भारतीय संस्करण थे. विदेशों में उनकी लोकप्रियता को देख उन्हें भारतीय दर्शकों की पसंद के अनुरूप ढालकर परोसा गया जो खासे सफल भी रहे.
कौन बनेगा करोड़पति- ब्रिटिश शो हू वांट्स टू बी मिलियनेयर .
बिग बॉस- यूएस शो बिग ब्रदर
24- यूएस के टीवी शो 24
झलक दिखला जा- बीबीसी के स्ट्रिक्टली कम डांसिंग और एबीसी के डांसिंग विद द स्टार
इंडियन आयडल- ब्रिटीश शो पॉप आयडॉल
इंडियाज गॉट टैलेंट- ब्रिटीश गॉट टैलेंट
खतरों के खिलाड़ी- अमेरिकन शो फियर फैक्टर
जस्सी जैसी कोई नहीं- अमेरिकन कॉमेडी ड्रामा अग्ली बेट्टी
कॉमेडी नाइट्स विद कपिल- ब्रिटिश शो द कुमार्स ऑफ नंबर 42
रिपोटर्स- यूएस सीरिज द न्यूजरूम
कई ऐसे कलाकार भी हुए जिन्होंने टीवी से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करते हुए फिल्मों की दुनिया का बड़ा नाम बन गये.
शाहरुख खान (सर्कस, फौजी)
विद्या बालन (हम पांच)
मनोज बाजपेयी/ आशुतोष राणा (स्वाभिमान)
आयुष्मान खुराना (एमटीवी रोडीज)
प्राची देसाई (कसम से)
सुशांत सिंह राजपुत (पवित्र रिश्ता)
यामी गौतम (ये प्यार ना होगा कम)
गुरमीत चौधरी (रामायण/ नच बलिये)
करण सिंह ग्रोवर (दिल मिल गये)
कपिल शर्मा (कॉमेडी नाइट)