-चंद्रकांता हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल कर इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर . सिनेमा हमारे...
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-चंद्रकांता हो जाये अच्छी भी फसल, पर लाभ कृषकों को कहाँ. खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रक्खे जहाँ॥...
– चंद्रकांता आज से अपना हिंदुस्तान आज़ाद होता है. 1954 की फिल्म बूट पॉलिश बच्चों की गरीबी, बेरोज़गारी, बाल श्रम...
-चंद्रकांता “बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां है, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन कब...
गौरव आँखों में सपने पालना बड़ी बात नहीं, बड़ी बात तो है आंखों में पल रहे उन सपनों को हकीकत...
-गौरव कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों. और ये कोई...
गौरव मेहनत अगर पूरी शिद्दत से की जाए तो किस्मत मेहरबान होती ही है. ये सोच है थियेटर के जरिये...
गौरव कामयाब होना जितना मुश्किल है उससे कहीं ज्यादा मुश्किल हैं कामयाबी के उन पलों में खुद के पांव जमीन...