क्या यथार्थ-अयथार्थ के द्वंद्व को अस्वीकार करने पर कवि कल्पना की सुंदर चेतना के आश्रय में एक निर्द्वन्द्व की अनुभूति...
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कुछ अलग-अलग पृष्ठभूमि के युवा हैं, सब एक साथ एक मंच पर आते हैं और एक बैंड बनाते हैं जिसका...
लता, लता, लता. जहाँ देखिए, जिस अख़बार, जिस पत्रिका को उठाइए लता का मुस्कराता चेहरा और लता की ही चर्चा....
-गौरव प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती. इंसान की लगन और मेहनत तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद उसे लक्ष्य...
कुछ फ़िल्में देखकर मन उखड़ता ही है कि कोई एक जिंदा फ़िल्म फिर से सिनेमा से मुहब्बत को जवां कर...
-चंद्रकांता अस्सी के दशक का समानांतर सिनेमा जिसे हम कला फिल्मों के नाम से जानते हैं उसकी सबसे महत्वपूर्ण बात...
-गौरव मन के हारे हार है मन के जीते जीत. वो कहते हैं न इंसान अगर एक बार कुछ कर...
-दिव्यमान यति फ़िल्म मेकर्स को आज से शपथ लेनी चाहिए कि वो सिर्फ और सिर्फ इस समाज को प्रेम (सलमान...
गौरव कहते हैं कला की साधना ही इस क्षेत्र में पारंगत होने की पहली शर्त होती है, यहां कोई शॉर्ट...
-पुंज प्रकाश चरित्र होना और चरित्र बनना और चरित्र बनाना : तीनों अलग-अलग बात है. अभिनय पर गंभीरता से काम...