-दिव्यमान यति फ़िल्म मेकर्स को आज से शपथ लेनी चाहिए कि वो सिर्फ और सिर्फ इस समाज को प्रेम (सलमान...
film review
-मुन्ना के. पांडेय पचास का दशक हिंदी सिनेमा के इतिहास में ‘उम्मीदों भरा जमाना’ कहा जाता है. उस समय एक...
-मुन्ना के. पाण्डेय लेखिका और कवयित्री अनामिका अपने उपन्यास ‘लालटेन बाज़ार’ में लिखती हैं “संबंधों की इतिश्री की बात करते...
– चंद्रकांता लोकप्रिय या पॉपुलर सिनेमा का काम मनोरंजन के अतिरिक्त समाज के यथार्थ को उघाड़ना और अपने समय के...
-चंद्रकांता ‘नीचा नगर’ ( lowly city ) चेतन आनंद द्वारा निर्देशित पहली हिन्दी फिल्म थी . यह फिल्म ‘बालीवुड फंतासी’...
-चंद्रकांता हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल कर इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर . सिनेमा हमारे...
-चंद्रकांता हो जाये अच्छी भी फसल, पर लाभ कृषकों को कहाँ. खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रक्खे जहाँ॥...
– चंद्रकांता आज से अपना हिंदुस्तान आज़ाद होता है. 1954 की फिल्म बूट पॉलिश बच्चों की गरीबी, बेरोज़गारी, बाल श्रम...
-चंद्रकांता “बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां है, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन कब...